आईपीएल खत्म: केकेआर चैम्पियन
-*कमलेश भारतीय
पिछले लगभग डेढ़ माह से चल रहा आईपीएल का खेल कल रात खत्म हो गया । सनराइजर्स हैदराबाद को बुरी तरह आठ विकेट से हरा कर किंग खान और जूही चावला की केकेआर टीम ने चैम्पियनशिप जीत ली थी। यह तीसरी बार है जब केकेआर ने आईपीएल चैम्पियनशिप जीती है। पहले दो बार गौतम गंभीर इसके कप्तान थे जबकि इस बार केकेआर के मेंटर। यानी तीसरी जीत में भी गौतम गंभीर का योगदान है। केकेआर के इस मैच के दौरान शाहरुख़ खान व जूही चावला दोनों ही अपनी टीम का उत्साहवर्धन करने के लिए मैदान में मौजूद थे। कमिंस का जादू फाइनल में नहीं चल पाया और यह मैच एकतरफा ही रहा। न बल्लेबाजी, न गेंदबाजी और न ही क्षेत्ररक्षण में सनराइजर्स हैदराबाद कहीं भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाई। यह तो बड़ा नीरस, एकतरफा और सबसे कम स्कोर वाला मैच रहा, जिसे देखते समय कोई संघर्ष या रोमांंच दिखा ही नहीं। केकेआर के आगे बेबस सी नज़र आई सनराइजर्स हैदराबाद की टीम। ऐसे फाइनल मैच से तो निराशा ही हुई। यह कैसा मैच, नो मैच। बड़ी आसानी से जैसे तश्तरी में रखकर सौंप दी ट्राफी केकेआर को।
इससे पहले आरसीबी फाइनल की दौड़ से बाहर हो गयी थी और उससे भी पहले सीएसके यानी धोनी और विराट अपनी अपनी टीमों को फाइनल तक भी न ले जा पाये। जबकि ये दोनों टीमें ट्राफी की प्रबल दावेदार थीं। इनसे भी पहले मुम्बई इंडियन बाहर हो गयी थी, कप्तान बदलने का खामियाजा भुगतना पड़ा जैसे कांग्रेस को गुटबाजी खाये जात है, ऐसे ही कप्तान हार्दिक पंड्या और पूर्व कप्तान रोहित शर्मा के बीच दूरियां और नाराजगी ने मुम्बई इंडियन को बहुत पहले आईपीएल से बाहर कर दिया। पंजाब की प्रीति ज़िंटा और सनराइजर्स हैदराबाद की काव्या मारन की टीमें हार गयीं। नीता अम्बानी भी इस बार मायूस ही आईपीएल से बाहर गयीं।
आईपीएल के प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट टीम का चयन भी प्रभावित रहा। लेकिन, सवाल यह उठता है कि आईपीएल में छक्के पे छक्के मारने वाले खिलाड़ियों का बल्ला विश्व कप में वैसा करिश्मा क्यों नहीं दिखाता? क्या सचमुच पैसा खुदा है? आईपीएल में ज्यादा पैसा मिलता है ? देश के लिए खेलते समय वह कलाइयों का जादू कहां खो जाता है ? विश्व कप में तिरंगा फहराने का जोश कम क्यों ? आईपीएल बहुत रोमांच भरा रहा और डेढ़ माह कब बीत गया, पता ही नहीं चला। इस बार माही नहीं था और माही व विराट अपने अपने घर बैठे मैच देखकर कह रहे थे-कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे प्यारे दिन!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।