समाचार विश्लेषण/क्या स्त्री सिर्फ आकर्षण और प्रदर्शन की वस्तु है?

समाचार विश्लेषण/क्या स्त्री सिर्फ आकर्षण और प्रदर्शन की वस्तु है?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्या स्त्री सिर्फ आकर्षण और प्रदर्शन की वस्तु है ? यह सवाल उठा कांग्रेस नेता शशि थरूर की एक पोस्ट पर जिसमें वे छह महिला सांसदों के साथ नज़र आ रहे हैं और साथ में लिखा है कि कौन कहता है कि लोकसभा काम करने के लिए आकर्षक जगह नहीं है ? इस फोटो में थरूर के साथ सुप्रिया सुले, नुसरत जहां , प्रणीत कौर , थमीजाची, मिमी चक्रवर्ती और जयोतिमणि दिखाई दे रही हैं । 
इस फोटो और इसके कैप्शन यानी विवरण की भाषा पर विवाद में घिर गये शशि थरूर । इसे आपत्तिजनक व्यवहार माना गया । राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट किया -आप इन्हें आकर्षण की वस्तु के तौर पर पेश करके संसद एवं राजनीति में इन महिला सांसदों के योगदान को कम करके आंक रहे हैं ।संसद में महिलाओं को वस्तु की तरह पेश करना बंद कीजिए । 
फिर से सवाल कि क्या नारी आकर्षण या प्रदर्शन की वस्तु है ? नहीं । कदापि नहीं । वैसे प्राचीन काल से नारी को सम्मान और अपमान दोनों के घूंट पीने पड़े जो आज तक भी पीने पड़ रहे हैं । महाभारत में द्रौपदी का चीरहरण क्या अपमान नहीं था ? रामायण में सीता की अग्निपरीक्षा क्या जरूरी थी ? यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी गूंगी गुड़िया मान कर पद दिया गया था लेकिन उन्होंने लोह महिला बन कर दिखाया । वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और बंगला देश की जन्मदात्री भी । अनेक कठोर फैसले लेने के कारण वे चर्चित रहीं । इसी के चलते प्राण भी होम कर दिये ।
नरगिस दत्त बेशक फिल्मी दुनिया से थीं लेकिन संसद में आईं और पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स बना कर सरहद पर फौजियों को मनोरंजन देकर उनका हौसला व मनोबल बढ़ाती रहीं । आज संसद में हेमा मालिनी , स्मृति ईरानी , मीनाक्षी लेखी भी हैं और इनसे पहले रेखा, डिम्पल यादव और प्रिया दत्त आदि भी रहीं । क्या इन्हें आकर्षण के लिए संसद में लाया गया ?  क्या नारी को सिर्फ आकर्षण, देह या पोस्टर गर्ल ही माना जाये ? यह कितना दुखदायी होगा । कितना अपमानजनक । नारी सशक्तिकरण के नारे क्या सिर्फ दिखावा हैं और प्रियंका गांधी बाड्रा जो उत्तर प्रदेश में नारा दे रही हैं 'मैं लड़की हूं , लड़ सकती हूं' पर विश्वास नहीं आपको ? क्या वह भी सिर्फ चुनावी आकर्षण होगा ? सोचिए आप क्या लिख गये और क्या कह गये ? बेशक थरूर ने माफी मांग ली है लेकिन अपनी छोटी व ओछी पुरूष मानसिकता तो जाहिर कर ही दी । क्या आज भी यही सच है : 
नारी जीवन हाय तेरी यही कहानी 
आंचल में है दूध और आंखों में पानी ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।