हरियाणा कांग्रेस में मचा है घमासान?
-*कमलेश भारतीय
क्या विधानसभा चुनाव परिणाम में तीसरी बार लगातार पराजय के बाद कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक घमासान मच गया है? बाजी जीत जाती कांग्रेस तो कुछ और बात होती, अब हार गयी तो घमासान मच गया जबकि जीती हुई भाजपा खुशियां मना रही है ।
कांग्रेस के हरियाणा प्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने कांग्रेस हाईकमान से अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश करते अपने गिरते स्वास्थ्य का हवाला दिया है । उन्होंने कहा कि टिकट चयन के समय भी अस्पताल भर्ती होना पड़ा था और क्या ही अच्छा हो कि उन्हें हरियाणा प्रदेश के प्रभारी के रूप में पदमुक्त कर दिया जाये यानी ऊपर से ही इस्तीफे की पेशकश शुरू हो गयी है । अभी प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का इस्तीफा मांगा जा रहा है । इस तरह ऊपर से हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में घमासान बढ़ता ही जा रहा है, जो निचले स्तर तक भी आ गया है ।
पहले बरवाला से कांग्रेस प्रत्याशी रहे और लगातार तीसरी बार हारे रामनिवास घोड़ेला ने अपनी हार का ठीकरा हिसार से कांग्रेस सांसद जयप्रकाश व राजेन्द्र सूरा पर फोड़ा है । वैसे रामनिवास घोड़ेला ने भी राहुल गांधी की रैली के बैनर में जयप्रकाश की फोटो नहीं लगाई थी । इस तरह कांग्रेस में गुटबाजी चुनाव के दौरान चरम पर पहुंच चुकी थी । टिकट के दावेदार भूपेंद्र गंगवा प्रचार में कहीं नज़र नहीं आये । अब नलवा से कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी अनिल मान ने भी अपनी हार के लिए पूर्व मंत्री व वरिष्ठ नेता प्रो सम्पत सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए कांग्रेस हाईकमान से शिकायत करने की बात की है । अनिल मान का कहना है कि वे प्रो सम्पत सिंह के घर भी गये लेकिन सहयोग नहीं मिला बल्कि भितरघात का शिकार होना पड़ा । इस तरह जिला हिसार में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से कांग्रेस में घमासान बढ़ता ही जा रहा है और नेता एक दूसरे पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं, भड़ास निकाल रहे हैं । सैलजा गुट के प्रत्याशी व पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने भी अपनी हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दोष देते कहा कि जिस दिन मेरे हल्के में राहुल गांधी की रैली थी, हुड्डा ने अपने संबोधन में मेरा नाम भी नहीं लिया जबकि मैं वहां से कांग्रेस प्रत्याशी था । गोगी ने हार का सारा दोष हुड्डा पिता पुत्र को दिया है ।
अहीरवाल में भी यही हाल है। वहां कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा, जो चिरंजीव (लालू यादव के दामाद) उपमुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे थे, वही वहां हार गये । अहीरवाल ने भाजपा का साथ दिया और कांग्रेस को नकार दिया जबकि अग्निवीर योजना के विरोध का लाभ भी कांग्रेस नहीं उठा पाई । महिला पहलवानों के यौन शोषण के मुद्दे पर कांग्रेस जुलाना में तो विनेश फौगाट को जिताने में कामयाब रही लेकिन चरखी दादरी में भाजपा के नये प्रत्याशी सुनील सांगवान जीत गये । इस तरह अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं । अब चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस को बैठकर चिंतन मंथन करना चाहिए न कि एक दुसरे पर दोषारोपण में समय गंवाना चाहिए । यही नहीं पिछले दोनों चुनावों से पहले कांग्रेस हरियाणा में संगठन भी नहीं बना पाई तो फिर ईवीएम की देखरेख कौन करे? हम तो यही कहेंगे:
एक ईंट क्या गिरी मेरे मकान की
लोगों ने आने जाने का रास्ता बना लिया!
-*पूर्व उपाधय्क्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।