टिकटों का चक्कर और बगावत का डर

टिकटों का चक्कर और बगावत का डर

-*कमलेश भारतीय
चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों दलों में टिकट पाने के चक्कर में सबके दिल धड़क रहे हैं-क्या होगा, क्या बनेगा, टिकट मिलेगा या नहीं ? इसी चिंता में दिन रात कट रहे हैं संभावित प्रत्याशियों के। एक एक दिन काटना मुश्किल होता जा रहा है और नेता हैं कि कांटे की तरह सूखते जा रहे हैं । कुछ दलबदल के मूड में है, कुछ दलबदल कर चुके हैं इसी आस में कि यहां नहीं तो वहां सही, इधर नहीं तो उधर सही। अब देखिए देवेंद्र बबली का हाल, कांग्रेस टिकट मांगने गये तो प्रभारी दीपक बावरिया का जवाब कि आप तो हमारे यानी कांग्रेस के सदस्य ही नहीं हो तो टिकट पर विचार कैसे ? वैसे देवेंद्र बबली ने लोकसभा चुनाव में सिरसा से कांग्रेस प्रत्याशी और अब विजेता सांसद सुश्री सैलजा का खुलेआम साथ दिया था, जजपा में होते हुए भी। अब बारी सैलजा की है कि बबली का भविष्य क्या हो ? इसी तरह बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग ने भाजपा प्रत्याशी चौ रणजीत चौटाला का साथ दिया और अब टिकट  के लिए भाजपा की ओर देख रहे हैं । क्या भविष्य में होने वाला है? ऐसी चर्चा भी चल रही है कि भाजपा डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को नलवा की बजाय बरवाला से विधानसभा चुनाव में उतार सकती है । वैसे वे दो बार नलवा से विधायक बने हैं । सबसे रोचक स्थिति में फंसे हैं हिसार से भाजपा के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे चौ रणजीत सिंह, जो रानियां से भाजपा से टिकट के दावेदार हैं लेकिन भाजपा हलोपा का गठबंधन हो जाने से गोविन्द कांडा अपने बेटे की राजनीतिक पारी रानियां से शुरू करवाने की जिद्द में हैं, जिससे गोविंद कांडा व चौ रणजीत चौटाला में जुबानी जंग शुरू हो चुकी है । यदि भाजपा ने यह सीट गठबंधन की भेंट में हलोपा को दे दी तो चौ रणजीत चौटाला या तो दलबदल कर सकते हैं या फिर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर सकते हैं , दोनों स्थितियां बहुत रोचक हैं । हिसार में भी पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल व मंत्री डाॅ कमल गुप्ता भाजपा टिकट के लिए आमने सामने डटे हैं। सन् 2014 में जिन डाॅ कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को हराया, आज वही चुनौती दे रही हैं भाजपा में शामिल होने के बाद डाॅ कमल गुप्ता को। राजनीति इसी का नाम है जाॅनी। राजनीति समझते उम्र निकल जाती है लेकिन इसकी भूलभुलैया समझना सबके बस की बात नहीं, भाई। 
लो और भी दिलचस्प बात कि सिरसा के दो पूर्व सांसद अशोक तंवर और सुनीता दुग्गल भाजपा से विधानसभा टिकट की दौड़ में हैं । अशोक तंवर कांग्रेस टिकट पर सिरसा से सांसद बने थे लेकिन फिर दलबदल करते करते वाया आप और तृणमूल भाजपा में आ गये और सिरसा से सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर भाजपा ने तंवर को उतारा, जो कांग्रेस की सुश्री सैलजा से बुरी तरह हार गये, अब विधानसभा चुनाव में टिकट मिलेगा या नहीं, कुछ निश्चित नहीं। सुनीता दुग्गल रतिया से टिकट की दौड़ में हैं । 
चाहे भाजपा हो या कांग्रेस बहुत दबाव में हैं दोनों दल, टिकट दें तो किसे? अश्वमेध का घोड़ा कौन साबित होगा? इसी विचार मंथन में जुटे हैं दल और ऊपर से टिकट कटने पर बगावत का डर। कौन अब पाला बदल जाये या फिर निर्दलीय ही मैदान में डट जाये! कोई नहीं जानता। कब किसी बयान पर मनीष ग्रोवर की तरह टिकट खतरे में पड़ जाये। 
मैदान में अगर हम डट जायें
मुश्किल है कि पीछे हट जायें
यह देश है टिकट वीरों का
इस राजनीति का यारो क्या कहना!!

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी