शिक्षा का संस्कारों से पोषित होना आवश्यक हैः प्रो. दीप्ति धर्माणी
कुलपति प्रो. सुदेश ने टीमवर्क को शिक्षण संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण बताया।

खानपुर कलां, गिरीश सैनी। शिक्षा का संस्कारों से पोषित होना आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा संस्कारित करेगी तभी एक सकारात्मक समाज का निर्माण होगा और राष्ट्र का विकास होगा। ये उद्गार चौ. बंसीलाल विवि, भिवानी की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने बतौर मुख्य अतिथि भगत फूल सिंह महिला विवि के एमएसएम आयुर्वेद संस्थान में पीजी पाठ्यक्रम की नवागंतुक छात्राओं के लिए 'शिष्य उपनयन संस्कार' तथा पीजी ओरिएंटेशन कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन एवं धनवंतरी वंदना के साथ किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो. दीप्ति धर्माणी ने आयुर्वेद संस्थान के 50 वर्ष पूरे होने तथा 51 वें वर्ष में पीजी पाठ्यक्रम शुरू किए जाने पर हार्दिक बधाई दी। उन्होंने अपने संबोधन में नारी शिक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए भगत फूल सिंह द्वारा किए गए अकथ प्रयासों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने शिक्षण संस्थान को एक मंदिर का दर्जा देते हुए कहा कि शिक्षा केवल धनोपार्जन का स्रोत नहीं है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कारों के महत्व से छात्राओं को अवगत कराते हुए कहा कि संस्कार चरित्र का निर्माण करते हैं और शिक्षा उसका साधन है। प्रो. धर्माणी ने कहा कि भारत देश अपने ज्ञान, वेदों, उपनिषदों, संहिताओं और आयुर्वेद जैसी पद्धतियों के कारण सोने की चिड़िया कहलाया। भगवद गीता को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्धि और विवेक के साथ-साथ मन को भी बस में करना आवश्यक है, अन्यथा हम कर्म नहीं कर पाएंगे। उन्होंने छात्राओं को अध्ययन के दौरान नोट्स बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता का कोई विकल्प नहीं है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने अपने प्रभावशाली संबोधन में शिक्षकों एवं छात्राओं का आह्वान किया कि वे भगत फूल सिंह और पद्मश्री बहन सुभाषिणी देवी की दूरदर्शिता और जन भागीदारी से निर्मित इस संस्थान को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने में हर संभव योगदान दें। उन्होंने कहा कि भगत फूल सिंह की इस तपोस्थली का समाज व राष्ट्र निर्माण में अविस्मरणीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि पीजी पाठ्यक्रम शुरू होने से संस्थान में गुणवत्तापरक शोध की संभावनाएं बढ़ेगी। कुलपति प्रो. सुदेश ने टीमवर्क को संस्थान के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और नवागंतुक पीजी छात्राओं का आह्वान किया कि वे विशेष कर शोध के क्षेत्र में योगदान देते हुए विवि की विकास यात्रा को गति दें। उन्होंने शिक्षकों एवं छात्राओं को आयुर्वेद जगत में एंटरप्रेन्योरशिप तथा ग्लोबल विजिबिलिटी के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। सस्टेनेबिलिटी और आत्मनिर्भरता की दिशा में सार्थक पहल करने का आह्वान भी उन्होंने किया।
इससे पहले आयोजित हवन यज्ञ में कुलपति प्रो. सुदेश तथा मुख्य अतिथि प्रो. दीप्ति धर्माणी ने मुख्य यजमान के रूप में आहुति डाली। हवन उपरांत उन्होंने नवागंतुक पीजी छात्राओं को आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं दी। प्रारंभ में संस्थान की प्रिंसिपल इंचार्ज डॉ. वीणा अग्रवाल ने स्वागत संबोधन किया तथा कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी दी। डॉ. नरेश भार्गव ने सम्मानित अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम संचालन डॉ. ममता रानी एवं डॉ. नेहा शर्मा ने किया। उद्घाटन सत्र का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।