अहंकार से मुक्ति का भाव ही आपको साहित्यकार बनने के लिए प्रेरित करता है: प्रो. संतोष कुमारी शर्मा
चंडीगढ़, 10अप्रैल, 2022: प्रो. अशोक कुमार द्वारा संपादित ‘शहर होने के बाद’ एवं रचित ‘कितने महाभारत’ पुस्तकों पर बिम्ब-प्रतिबिम्ब सृजन संस्थान द्वारा पुस्तक लोकार्पण एवं विचार-चर्चा का आयोजन किया गया| इस आयोजन में शहर के प्रमुख साहित्यकार और साहित्य प्रेमी उपस्थित हुए| कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अशोक कुमार द्वारा अतिथियों के स्वागत और सम्मान से किया गया|
“सबसे कठिन है वर्तमान समय में महाभारत से मुक्त होना| महाभारत की मुख्य वजह है अहंकार| डॉ. अशोक ने अहंकार से मुक्त रहने वाले समाज की परिकल्पना अपनी पुस्तक कितने महाभारत में की है जो समकालीन साहित्य और समाज के लिए अनुकरणीय है” यह बातें कहीं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. संतोष कुमारी शर्मा ने| इस अवसर पर ख्यात गज़लकार माधव कौशिक का कहना था कि “महाभारत पर हर एक जागरूक रचनाकार लिखता है| वह पूर्ण ही तब होता है जब महाभारत पर लिखे| डॉ. अशोक कुमार ने जिन पात्रों की संकल्पना में वर्तमान परिवेश का यथार्थ अपनी पुस्तक में दिखाया है वह हमें सही अर्थों में जागरूक करता है|” विशिष्ट अथिथि के रूप में प्रो. सुधीर कुमार ने शब्द-अर्थ को केंद्र में रखकर साहित्य की अनिवार्यता पर अपनी बात रखी|
दोनों पुस्तकों पर अलग-अलग पत्र पढ़े गये जिसमें वक्ता के रूप में अश्वनी शाण्डिल्य ने शहर होने के बाद संकलन पर अपना विचार रखते हुए समकालीन कथा साहित्य में एक जरूरी हस्तक्षेप बताया| डॉ. संजय चौहान ने कितने महाभारत को ज़िम्मेदारी से लिखा गया कविता संग्रह तो कहा ही यह भी बताया कि कवि ने एक आलोचकीय ज़िम्मेदारी के साथ इस संग्रह में समय और समाज को रेखांकित किया है|
इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्रो. नीरजा सूद, डॉ. पंकज श्रीवास्तव, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. योगेश रावल के अतिरिक्त शोधार्थियों, विद्यार्थियों और शहर के अन्य विशेष साहित्यकार भी उपस्थित रहे| अमृतसर से बलविंदर सिंह अत्री और जालंधर से बलवेन्द्र सिंह भी इस लोकार्पण समारोह में उपस्थित हुए| कार्यक्रम के अंत में डॉ. अशोक कुमार ने सभी उपस्थित साहित्यकारों और अथितियों का आभार व्यक्त करते हुए निकट भविष्य में लेखन सरोकारों से जुड़ी अपनी अन्य गतिविधयों पर भी प्रकाश डाला|