रावी के नाम को इरावती जैसे खूबसूरत नाम से प्रकाशित करना बहुत बढ़िया
यह।मशाल जलती रहनी चाहिए
-कमलेश भारतीय
जिस पत्रिका को उन्नीस अंक प्रकाशित करने के बाद पाठकों और स्नेहियों ने बंद नहीं होने दिया । हालांकि दो दो बार बंद करने की घोषणा राजेंद्र राजन् कर चुके थे पर पता नहीं क्यों मित्रों को विश्वास नहीं हो रहा था कि इरावती अब नहीं आएगी । यह विश्वास जीत गया । जब बल्ह की लेखक कुटीर में राजेंद्र राजन् से पिछले साल मुलाकात हुई तब भी इरावती कहीं पुनर्जन्म के लिए हिलोरें रे रही थी । आखिर पुनर्जन्म हुआ और महाराज कृष्ण काव के स्मृति अंक के रूप में । राजेंद्र राजन् ने जिस व्यक्तित्व का स्मृति अंक निकाला वह हिमाचल के नये युग के साहित्य व साहित्यिक गतिविधियों का सूत्रधार था, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं । सिर्फ नाम सुना था और लगता था कि हमारे साहित्यकार मित्र काव को उनकी बड़ी कुर्सी के कारण इतनी अहमियत दे रहे हैं लेकिन जब यह अंक पढ़ा तो मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ । इतना सामर्थ्यवान लेखक ।।इतना स्वप्नजीवी अधिकारी । इतना सहृदय । दिल की बात समझ कर चुपचाप कर देना वाला । कोई हंगामा नहीं ।।सारा भव्य आयोजन कर भी मुख्य मंच पर न बैठने वाला और कितनी व्यंग्य की धार । अब दुख हो रहा है कि कभी मुलाकात क्यों नहीं हुई ।
वैसे हमारे हरियाणा में भी कृष्ण कुमार खंडेलवाल और उनकी धर्मपत्नी धीरा खंडेलवाल भी कम नहीं साहित्य में । ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष रहते समय इन आईएएस दम्पत्ति को निकट से जानने समझने का अवसर मिला और खंडेलवाल के सुझाव पर सारिका जैसी पत्रिका कथा समय का संपादन कर पाया तीन वर्ष तक । राजेंद्र जाखू भी हमारे जिला जालंधर के पुराने मित्र । शायर और आजकल काव जी की तरह पेंटर भी । विजय वर्द्धन जो मुख्य सचिव हो गये हैं । उन्होंने कुरूक्षेत्र पर शानदार किताब दी । विमोचन पर मुलाकात हुई । सुमित्रा मिश्रा की काव्य प्रतिभा भी उन्हें आईएएस नहीं रहने देती ।। शिवरमण गौड़ भी एक शरीफ आदमी कविता लगातार छू जाती है । वर्षा खनगवाल भी ।
मेरे इन उदाहरणों का सिर्फ इतना उद्देश्य है कि यदि साहित्य प्रेमी अधिकारी आ जायें किसी भी राज्य मे तो साहित्य को शिखर बनने में देर नहीं लगती । वे लोग बड़े खुशकिस्मत रहे जो उस दौर में काव जी के निकट आए और निखर व संवर गये ।
बहुत बहुत बधाई राजन । इरावती के पुनर्जन्म को सार्थक कर दिखाया । अब पाठकों और सहयोगियों का फर्ज़ है कि इसे और पुनर्जन्म न लेना पड़े । इसे बचाये रखना । रावी के नाम को इरावती जैसे खूबसूरत नाम से प्रकाशित करना बहुत बढ़िया । बधाई । इसे जारी रखिए । यह।मशाल जलती रहनी चाहिए।