कमाल हुआ, मगर कैसे ?
-*कमलेश भारतीय
-वत्स संजय ! आज बहुत देर लगा दी । कहां रहे?
-महाराज! आपके लिए संवाद भी जुटाना था । सुबह से मतगणना के परिणाम देख रहा था ताकि आपको कुछ जानकारी दे सकूं ।
-क्या जानकारी जुटा लाये मेरे लिए?
-महाराज धृतराष्ट्र, जो बदलाव होने की, लाने की, कांग्रेस की आशायें थीं, वे धूमिल होती दिख रही हैं। सारे पूर्वानुमान भी निष्फल होते प्रतीत हो रहे हैं ।
-वह कैसे?
-अभी तक पूरे परिणाम तो घोषित नहीं हुए लेकिन भाजपा से कांग्रेस पिछड़ती प्रतीत हो रही है ।
-ऐसा क्यों संजय ?
-कांग्रेस को आपसी गुटबाजी मार रही लगती है, महाराज । फिर एक महिला नेत्री को मुख्य परिदृश्य से अलग धलग करना भी बहुत रूचिकर नहीं रहा । फिर हर कोई मुख्यमंत्री की लड़ाई लड़ रहा था न ही कांग्रेस एकजुट थी । हालांकि जुलाना से महिला पहलवान विनेश फौगाट राजनीति में पहला कदम रख दिया है । यह उसके लिए सुखद स्थिति है । वैसे कुछ मंत्री चुनाव में पराजित रहे, प्रजा ने उन्हें सबक सिखाने में देर नहीं की।
-दूसरे दलों का क्या हाल रहा?
-चाचा भतीजे के दलों को भी लोगों ने महत्त्व नहीं दिया बल्कि भतीजा तो मुख्य प्रतिद्वंद्वी भी नहीं रहा । बुरी तरह आहत व पराजित होने की कगार पर है । न बसपा और न ही आप अपना अस्तित्व दिखाने में सफल हो पा रही हैं लेकिन इन दलों ने अपनी वोट काटने की भूमिका बखूबी निभाई ।
-अब क्या होगा संजय?
-ऐसा लगता है कि भाजपा हरियाणा में तृतीय बार यानी क्रिकेट की भाषा में हैट्रिक लगाने जा रही है ।
-ठीक है संजय। आज की बातचीत को यहीं विराम देते हैं, कल परिणामों पर ढंग से चर्चा करेंगे।
-ठीक है, महाराज धृतराष्ट्र, कल आता हूँ और समय पर ही आ जाऊंगा।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।