लता जी के सभी गीत सुनने में 68 साल लग जाएंगे
मुझे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी करते समय का एक वाकया याद आ रहा है। मैं आकाशवाणी इलाहाबाद के एक वरिष्ठ उद्घोषक से मिलने उनके घर गया था। छत पर टहलते हुए संगीत की बातें होने लगीं। जब लता मंगेशकर जी का जिक्र आया तो वह बताने लगे कि कैसे इलाहाबाद के एक कार्यक्रम में लता जी को उन्होंने करीब से देखा था। बोले कि लता जी सामने बैठी गा रही थीं, लेकिन उनके होंठ हिलते नहीं दिखे। आकाशवाणी का स्टाफ मंत्रमुग्ध हो उनको सुन रहा था। फिर आकाश की ओर देखते हुए बोले कि ''लता मंगेशकर एक देवी हैं, साक्षात देवी। ऐसी देवियां बार-बार जन्म नहीं लेतीं''। भारत रत्न, स्वर कोकिला लता मंगेशकर अपने सदाबहार गीतों के रूप में देश और दुनिया के लिए खुशियों का एक विशाल खजाना छोड़ गई हैं। उनके गीत सदियों तक गुनगुनाए जाते रहेंगे। कहते हैं कि यदि कोई लता जी का एक नया गीत रोज सुनता रहे, जो रिपीट न किया गया हो तो 68 वर्ष लग जाएंगे उनके सभी गीत सुनने में। एक हजार फिल्मों के लिए इतने सारे गीत गाए थे लता मंगेशकर ने। युगों युगों तक उनके गीत रेडियो, टीवी, मोबाइल, वेबसाइटों और यूट्यूब पर घर-घर बजते रहेंगे।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने लता जी के देहावसान पर कहा कि 'लाखों सदियों का मधुर स्वर' हमें छोड़ कर चला गया। मशहूर बॉलीवुड सिंगर मिका सिंह ने अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम की डीपी में अपने फोटो की जगह लता जी की तस्वीर लगाई हुई है और लिखा है कि ''भारतीय संगीत उद्योग की देवी, स्वर कोकिला आज हमें छोड़कर चली गईं। वह बॉलीवुड के लिए हमेशा एक संपूर्ण शिक्षण संस्थान की तरह थीं और रहेंगी। लता जी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं, इसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। दीदी हमें जीवन देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, सभी गायक और संगीतकार आपके ही आशीर्वाद से जी रहे हैं और काम कर रहे हैं। आप हमारे दिलों में जीवित रहेंगी और अनंत काल तक हमें प्रेरित करती रहेंगी। ओम शांति।''
संगीत न सिर्फ हमारा मनोरंजन करता है, बल्कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह बेहद जरूरी है। कोविड काल में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण दुनिया भर के लोग अपने अपने घरों में कैद रहे। इस वजह से लोगों को अपने मित्रों, परिजनों, सहकर्मियों और जान पहचान वालों से मजबूरन दूर रहना पड़ा। यह समस्या कमोबेश अभी भी जारी है। एक तो कोविड का भय और ऊपर से अकेले रहने की मजबूरी। इस वजह से दुनिया भर में मानसिक परेशानियों के मामले अचानक से बढ़ते गये। गनीमत है कि स्मार्टफोन और इंटरनेट की बदौलत लोग संगीत से जुड़े रहे। ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि महामारी के समय जब अंतर्राष्ट्रीय छात्र अकेले पड़ गये तब तनाव से बचने के लिए उन्होंने अपनी पसंद का संगीत सुना। इससे उन्हें लगभग वैसे ही फायदे हुए जैसे व्यायाम करने, अच्छी नींद लेने और किसी दिलचस्प स्थान की यात्रा करने से होते हैं। ऑनलाइन एजूकेशन से उत्पन्न तनाव को भी छात्रों ने मनपसंद संगीत सुनकर ही दूर किया। संगीत ही है जो मन को खुश रखता है। संगीत की देवी लता मंगेशकर जी को मेरी विनम्र श्रृद्धांजलि।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)