जगन्नाथ रथयात्रा: आओ प्रेम और सद्भावना का रथ खींचें रे भाई
-*कमलेश भारतीय
जगन्नाथ की रथयात्रा के वीडियो वायरल हुए तो देखे । उमड़ पड़ा जनसैलाब । यह रथयत्रा प्रतीकात्मक रूप से कुछ बड़े शहरों में भी निकाली गयी । जैसे गुजरात का डांडिया , पंजाब के गुरुपर्व , अनेक पर्व इसी जोश से मनाये जाते हैं , यहां तक कि ईद की सेवैयां भी सब खाते हैं और गले लग कर ईद मुबारक भी कहते हैं । चर्च भी जाते हैं क्रिसमस पर और मोमबत्तियां भी जलाते हैं । इस तरह जगन्नाथ की रथयात्रा भी उसी प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है जो हमारे देश की मूल भावना है । कोई कितना भी विष घोल ले , यह प्रेम इसकी जड़ों में , रगों में बसा हुआ है जैसे वटवृक्ष की जड़ें-सब तरफ फैली मिलती हैं । जैसे फूल सब तरफ खुशबू बिखेरते हैं । कल हमारे हिसार में भी जगन्नाथ रथयात्रा निकाली गयी । पूरे जोश खरोश से । गर्मी से बेहाल होकर भी इसमें जनसैलाब उमड़ पड़ा । सच जयशंकर प्रसाद की पंक्तियां याद हो आईं:
अरूण यह मधुमय देश हमारा
जहां पहुच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ...
दूसरी तरफ आज अखबारों में सुप्रीम कोर्ट की नूपुर शर्मा को लेकर एक टिप्पणी है जो नुपुर के पैगम्बर पर विवादित बयान देने के मामले को लेकर है । सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है कि नुपुर ने साम्प्रदायिक भावनायें भड़काई जिससे देश खतरे में पड़ गया । नूपुर के बयान का ही नतीजा है जो उदयपुर में दुखद घटना हुई । देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए अकेले नुपूर जिम्मेदार है । सब जानते हैं कि नुपूर भाजपा की प्रवक्ता के नाते ही टीवी डिबेट में भाग ले रही थी । इसलिये कोर्ट ने संकेत किया कि सत्ता की ताकत दिमाग पर हावी नहीं होने देनी चाहिए । नुपूर को टीवी पर आकर सारे देश से माफी मांगनी चाहिए और जो एंकर्ज ऐसी डिबेट करवाते हैं, उन पर भी कार्रवाई क्यों न हो ...
इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने टीवी के माध्यम से ऐसी घृणात्मक डिबेट्स पर भी कड़ी टिप्पणी करके चेतावनी दी है । मीडिया बेलगाम नहीं है । मीडिया को यह संदेश देने की कोशिश की गयी है । मीडिया को टीआरपी बढ़ाने के लिए कुछ सकारात्मक डिबेट्स करवाने की दिशा में काम करना चाहिए ।
यहां तक किसी धार्मिक आयोजन की बात है तो इससे यह संदेश भी जाना चाहिए कि हम प्रेम और सद्भावना से सभी धर्मों का आदर करें । इसलिए तो कह रहा हूं प्रेम और सद्भावना का रथ खींचो रे भाई ...
जहाँ सत्य , अहिंसा और धर्म का
पग पग पर है डेरा
वो भारत देश है मेरा ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।