जजपा : इस दल के टुकड़े हज़ार हुए
-*कमलेश भारतीय
जजपा पार्टी लगातार बिखराव और टूटने की ओर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कोई नहीं जानता, यह बिखराव और कितना होगा या इस बिखराव का सिलसिला कहां जाकर थमेगा ! कुछ बिखराव लोकसभा चुनाव में शुरू हो गया था लेकिन तब इस तरह खुलेआम इस्तीफे नहीं दिये थे । जहां पूर्व मंत्री व जजपा विधायक देवेंद्र बबली लोकसभा चुनाव में सिरसा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सुश्री सैलजा के साथ रहे, वहीं बरवाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग भाजपा प्रत्याशी चौ रणजीत चौटाला के साथ गये लेकिन अब दोनों जजपा से इस्ताफे दे चुके हैं और कहा़ं जायेंगे, ये इशारे तो वे पहले ही दे चुके हैं । एक दिन में चार तो दूसरी बार में दो जजपा विधायक पार्टी से इस्तीफे दे गये । अनूप धानक, जिसको मंत्री बनवा कर नारनौंद के जजपा विधायक व वरिष्ठ नेता रामकुमार गौतम की आस पर पानी फेर दिया था, वे शुरू से ही दुष्यंत के खिलाफ बयानबाजी करते आ रहे हैं । मज़ेदार बात देखिए कि वही अनूप धानक भी जजपा से मुंह मोड़ गये । जिसको मंत्री पद दिलवा कर पार्टी में ही आलोचना के शिकार होते रहे, वही अनूप धानक भी मुंह मोड़ कर चलते बने ! जाॅनी, इसी का नाम राजनीति है और यह समय समय का फेर है ! दो विधायक कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं । अब देखा जाये तो मां नैना चौटाला और बेटा दुष्यंत चौटाला ही जजपा के पक्के साथी रह गये हैं, जैसे कभी कुलदीप बिश्नोई और उनकी धर्मपत्नी रेणुका बिश्नोई रह जाते थे । लोग कहते हैं कि कांग्रेस 'बाबू बेटा' की पार्टी है और अब जजपा 'मां बेटे' की ही पार्टी रह गयी लगती है । नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 'बाबू बेटा' की पार्टी के सवाल के जवाब में हिसार में मीडिया को जवाब दिया था कि भाजपा 'गुरु चेले' की पार्टी है, फिर तो भाई ! अब गुरु चेला कौन, यह बताने की जरूरत नहीं ! खैर, जजपा के बिखराव पर वापस आते हैं । पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि मेरे से सभी दलों को भय है इसलिए सब मेरे पीछे पड़े हैं । वैसे चर्चा यह सुनने में आ रही है कि जजपा आप पार्टी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है । देखते हैं कि इनमें गठबंधन हो पाता है या नहीं ? कुछ लोग इनेलो जजपा के एक होने की बात भी करते रहते हैं पर इसकी संभावनाओं में दम नहीं लगता! यह परिवार बुरी तरह बिखर चुका है और जजपा उससे भी जयादा बिखर रही है। ्
इस दल के टुकड़े हज़ार हुए
कोई यहा़ं गिरा, कोई वहां गिरा!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी