जाॅनी चोर और डाॅ सतीश कश्यप
-कमलेश भारतीय
हरियाणा का स्वांग जाॅनी चोर और रंगकर्मी डाॅ सतीश जार्ज जी कश्यप जैसे एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं । मुझे हिसार और हरियाणा में पच्चीस साल हो गये और तब से सतीश कश्यप को यह स्वांग करते देख रहा हूं । अभी कल भी हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के कैमरी स्थित आवास के सामने राजा राम गार्डन में फाग उत्सव पर यह स्वांग मंचित किया । इन पच्चीस सालों में सैकड़ों बार वे इसे मंचित कर चुके हैं लेकिन न तो वे इसे करते थके हैं और न ही लोग इसे देखने से पीछे हटे हैं । वो कहते हैं न कि दोनों तरफ है आग है बराबर लगी हुई ।
वैसे जो सुनता हूं वह यह कि जाॅनी चोर को राॅबिन हुड जैसा दर्जा मिला हुआ है । एक हिंदू क्षत्राणी की पठान की कैद से मुक्ति के लिये जाॅनी चोर अपना घर बार छोड़कर निकल पड़ता है और अपनी जान की परवाह न कर बचा कर लाता है । इन पच्चीस सालों में जाॅनी चोर के कितने पात्र बदलते गये लेकिन एक पात्र और इसका नायक एक ही रहा और वह है डाॅ सतीश कश्यप ! कभी डाॅ संध्या शर्मा इनके साथ रही तो कभी तमन्ना खटक और खूब चर्चित जोड़ी रही । आजकल इनके जाॅनी चोर में रमन नास्सा , नरेश भारतीय , डाॅ अनिल सैनी , विभोर भारद्वाज , विकास मेहता , कमल खटक , संजना कश्यप , सुदेश कुमारी , डिंपल चहल सूंडा आदि शिथिल हैं । हां , संगीत में विनोद गोल्डी लगातार चल रहे हैं इनके साथ रहे राजेश मसीह , प्रितपाल और अजीत बूरा । इस तरह कितने कलाकार भी रंगमंच को दिये डाॅ सतीश कश्यप ने । मुझे लगता है कि लोककलाकार तीज बाई के पांडवनी से भी ज्यादा चर्चा में है । इस तरह हरियाणा में लोक-संस्कृति का ध्वज डाॅ सतीश कश्यप उठाये हुए हैं ।
मेरा ख्याल है कि इतने सालों तक एक ही स्वांग का लगातार मंचन न केवल स्वांग की लोकप्रियता है बल्कि डाॅ सतीश कश्यप और हरियाणवी संस्कृति की भी प्रतिष्ठा है । इससे पहले पंजाब में रहते गुरुशरण सिंह की नाटकों के प्रति जीवटता देखी थी और अब हरियाणा आकर डाॅ सतीश कश्यप की यह लग्न व अगन देखी ।
बहुत बहुत बधाई । अभी डाॅ कश्यप हरियाणा से ही उपजी श्रीमद्भागवत गीता को भी एक स्वांग में उतारने के प्रयास में हैं । इसके लिये अग्रिम बधाई । डाॅ कश्यप के जुनून व जज्बे को सलाम ।