पत्रकारिता अब मिशन नहीं रही: चंद्रशेखर धरणी

पत्रकारिता अब मिशन नहीं रही: चंद्रशेखर धरणी
चंद्रशेखर धरणी।

-कमलेश भारतीय 
आज पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है । यह अपने मिशन से भटक गयी है । पहले नेता पत्रकारों के पीछे भागते थे । अब पत्रकार नेताओं के पीछे भाग रहे हैं खबर के लिए । इतनी गिरावट आ गयी है । यह कहना है पंजाबी केसरी टी वी के हरियाणा न्यूज़ हैड चंद्रशेखर धरणी का । जो मूल रूप से तो पंजाब के अमृतसर के निवासी हैं लेकिन पापा राज धरणी सागर की नौकरी के चलते सारा पालन पोषण व पढ़ाई लिखाई पानीपत में हुई । मेरा चंद्रशेखर धरणी से एक प्यारा सा नाता है कि इनके पापा राजधरणी सागर नवांशहर के हमारे आर्य स्कूल में इतिहास के अध्यापक थे और मेरे मामा नरेंद्र बहल के बीटी में क्लास फैलो वहीं नवांशहर के काॅलेज में । इस तरह घर आना जाना भी था । 
-कितनी पढ़ाई की ?
-पानीपत के आई बी काॅलेज से ग्रेजुएशन व कोटा से बी जे एम सी की । 
-काॅलेज में कौन सी गतिविधि में भाग लिया ?
-क्रिकेटर । अंडर 16 व अंडर 19 तक खेला और इसी दौरान खेल पत्रकारिता शुरू की पंजाब केसरी /वीर प्रताप से । पापा मुझे जालंधर ऑफिस मिलाने ले गये थे । फिर तो दैनिक ट्रिब्यून व जनसत्ता में रिपोर्टिंग की । पींग साप्ताहिक के साथ भी रहा ।उत्तम हिन्दु, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा,जनसत्ता में भी काम किया।
-इलेक्ट्रॉनिक में किस किस में काम किया ?
-यू एन आई टीवी , एम एच वन में सन् 2007 से 2021 तक , ए टू जैड में काम किया । 
-कौन हैं प्रेरक?
-पापा राजधरणी तो हैं ही जो चाहते थे कि मैं पत्रकार बनूं और मेरे गाॅड फादर हैं पत्रकारिता में अविनाश  चोपड़ा जी , जिनसे सदैव बहुत कुछ सीखने को मिलता है,मेरे आदर्श हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया में ज्ञानेंद्र  भरतरिया जिनकी देखरेख में पानीपत जिले की पत्रकारिता से राजधानी चंडीगढ़ के अंदर इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में कदम रखे । सन् 2007 से चंडीगढ़ में पत्रकारिता कर रहा हूँ।
-पत्रकारिता के आज के गोदी मीडिया पर क्या कहोगे?
- पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है और नेताओं के पीछे पत्रकार भाग रहे हैं । मिशन पत्रकारिता नहीं रही ।
-कोई पुरस्कार ?
-अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिवार की ओर से कोरोना योद्धा मीडिया,युवा पत्रकार संघ द्वारा पत्रकारिता रत्न(1996) व अन्य ।
-परिवार के बारे में बताओ ?
-पत्नी रीटा शर्मा । बेटा अक्षिल जो सिविल इंजीनियर । बेटी अक्षिता जो डेंटल डाॅक्टर और अब भी एमबीए कर रही है ।
हमारी शुभकामनाएं चंद्रशेखर धरणी को ।