राष्ट्रीय सिनेमा दिवस पर पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने किया कलाकारों के साथ संवाद
रोहतक, गिरीश सैनी। सिनेमा महज छवियों का संकलन नहीं, सिनेमा हमारे जीवन में मनोरंजन के साथ-साथ सार्थक सामाजिक-मानवीय सोच विकसित करने का सशक्त जनसंचार माध्यम है। सिनेमा के बहुआयामी योगदान पर एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में प्रतिष्ठित सिने कलाकारों, प्राध्यापकों तथा विद्यार्थियों ने संवाद किया।
राष्ट्रीय सिनेमा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित सिने कलाकार तथा संस्कृति कर्मी रघुवेन्द्र मलिक तथा उदीयमान अभिनेत्री अंजवि हुड्डा दहिया ने बतौर विशिष्ट आमंत्रित वक्ता शिरकत की।
विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने कहा कि सिनेमा जन-मानस के जीवन से जुड़ा संचार माध्यम है। सिनेमा के व्यापक प्रभाव तथा मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करने की सिनेमाई योगदान को प्रो. हरीश कुमार ने उद्घाटित किया। उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में सिनेमा देखने तथा वर्षों बाद सिनेमा में शोध करने के अपने कार्यों को साझा किया।
प्रतिष्ठित लोक संस्कृति कर्मी एवं सिने अभिनेता रघुवेन्द्र मलिक ने कहा कि स्नातकीय अध्ययन उपरांत अस्सी के दशक में श्याम बेनेगल की डाक्यूमेंट्री से उनका इस जगत में पदार्पण हुआ। सन् 1983 में प्रदर्शित हरियाणा फिल्म बहुरानी में विलेन की भूमिका निभाई। तब से लगातार उनका सिनेमाई सफर जारी है। हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के उनके प्रयासों की भी चर्चा उन्होंने की। विद्यार्थियों से जीवन में जोश-जुनून के साथ जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा रघुवेन्द्र मलिक ने दी।
हरियाणवी अभिनेत्री अंजवि हुड्डा ने बताया कि 2016 में सतीश कौशिक निर्मित- हमारी छोरियां क्या छोरों से कम हैं फिल्म से उनका फिल्म का सफर शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व कालेज-यूनिवर्सिटी में नाटकों में भाग लेकर अभिनय क्षमता का परिचय उन्होंने दिया तथा चार वर्षों तक लगातार श्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब जीता। उन्होंने उपस्थित जन से अपील की कि सिनेमा हॉल में जाकर फिल्में देंखे तथा फिल्म उद्योग की प्रगति यात्रा में योगदान दें।
दोनों कलाकारों ने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। सहायक प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि टेक्नोलॉजी ने सिनेमा की दुनिया को बदल दिया है। कार्यक्रम संयोजन तथा संचालन सुनित मुखर्जी ने किया। उन्होंने रोचक ढंग से फिल्मों की विकास यात्रा साझा की तथा सिनेमा को मानवीय, भावनात्मक, रचनात्मक अभिव्यक्ति करार दिया। संवाद कार्यक्रम से पूर्व विद्यार्थियों को सामाजिक संदेश देने वाली शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई।