अपराधी के पैर और कानून के हाथ ....

अपराधी के पैर और कानून के हाथ ....
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
मुम्बई के डाॅन के बारे में फिल्म का डायलाॅग-डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन है , अपराधियों को महिमामंडित करने के समान है । अपराधी ऐसे डाॅयलाग व कैरेक्टर से प्रेरणा लेते हैं । डाॅन को बारह देशों की पुलिस खोज रही है लेकिन डाॅन है कि हाथ नहीं आता बल्कि पाकिस्तान जाकर आरामदायक ज़िंदगी गुजारता है । कहते हैं कि यूपी का डाॅन विकास दुबे सन्नी दयोल  की फिल्म अर्जुन पंडित के कैरेक्टर से इतना प्रभावित था कि खुद को पंडित कहलाना ही पसंद करता था । पता नहीं कितनी बार विकास ने यह फिल्म प्रेरणा पाने के लिए देखी होगी । फिल्मों का कितना प्रभाव है समाज पर यह साबित हो जाता है । 
अब यूपी के पंडित विकास दुबे को भी पांच राज्यों की पुलिस ढूंढ रही है । वह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या फिल्मी स्टाइल में कर साइकिल  पर ही फरार हो जाता है । फिर फरीदाबाद के किसी रिश्तेदार तक आराम से पहुंच जाता है । यह रिश्तेदार उसे एक होटल में अपनी आईडी से कमरा ले देता है । खोजी पुलिस को सुराग मिलता है लेकिन विकास दुबे पुलिस के पहुंचने से पहले भाग निकलता है । यह आंख मिचौनी जारी है । वैसे बिकरू गांव से फरीदाबाद तक खोजी पुलिस क्या कर रही थी? कहां थी ?  
दूसरी ओर विकास दुबे को दबंग , डाॅन या गैंगस्टर किसने बनाया ? इस पर लगातार टी वी चैनलों पर बहस के शो चल रहे हैं । विकास दुबे को लगातार राजनीतिक संरक्षण और आशीर्वाद मिलता रहा । इस तरह वह सन् 1992 से अब तक अपराध की दुनिया में कदम बढ़ाता चला गया । आखिर इतने बड़े कांड को अंजाम दे दिया । अब हर नेता मुकर रहा है कि हम नहीं थे दुबे को आशीर्वाद देने वाले । पंजाब में आतंकवादियों के सिर पर किसका हाथ था ? जब बेअंत सिंह केंद्र से खुला हाथ मांग कर आए तब इनका सफाया होते देर नहीं लगी । बेशक बेअंत सिंह को अपनी जान देकर भारी कीमत चुकानी पड़ी । हरियाणा में पहली बार सत्ता में आने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह अपराधियों के सफाये का अभियान चलाया था एनकांउटर के माध्यम से । कल यूपी पुलिस ने भी विकास दुबे के सहयोगी का एनकाउंटर कर डाला । पर अभी तक विकास दुबे के न मिलने पर यह सवाल उठ रहा है कि अपराधी के पैर लम्बे हैं या कानून के हाथ ? इनमें से कौन ज्यादा प्रभावशाली है ? पुलिस कर्मचारी विनोद तिवारी अगर मुखबरी न करता तो शायद यह लोमहर्षक कांड न होता । पुलिस ही अपराधी के साथ हाथ मिलायेगी तो कैसा क्लीन ऑपरेशन चलेगा योगी जी ? बेअंत सिंह जैसा कलेजा चाहिए । न कोई अपना , न कोई पराया । न काहू से दोस्ती , न काहू से बैर । ठोक दो जो भी गलत काम कर समाज में अव्यवस्था का जिम्मेदार है । हर राज्य की पुलिस को यह सबक मिल जाना चाहिए कि यदि हम अपराधी की सहायता करते रहेंगे तो वे आप पुलिसवालों पर ही गोलियां बरसाने में संकोच नहीं करेंगे । इसलिए विकास दुबे जैसे भस्मासुर न पालें ।