लखमीचंद हरियाणा की सबसे बड़े बजट की फिल्म: रवींद्र राजावत
फिल्म के प्रोड्यूसर रवींद्र राजावत के साथ पत्रकार कमलेश भारतीय की एक इंटरव्यू
लखमीचंद हरियाणवी फिल्मों में अब तक की सबसे बड़े बजट की फिल्म है । फिर भी मुझे और यशपाल शर्मा को एक संतुष्टि है कि जैसी फिल्म हम बनाना चाहते थे वैसी बना पाए । अब यह हरियाणावासियों पर निर्भर है कि जब यह फिल्म रिलीज होगी वे इसे क्या रिस्पांस देते हैं । वैसे हमें पूरा यकीन है यशपाल की मेहनत और परिणाम पर।यह कहना है डायरेक्टर, कॉप्रोड्यूसर यशपाल शर्मा के साथ लखमीचंद फिल्म के प्रोड्यूसर रवींद्र राजावत का । राजस्थान के सवाई माधोपुर के मूल निवासी रवींद्र राजावत आजकल फरीदाबाद में रहते हैं, दिल्ली, जयपुर,मुंबई में स्टूडियो हैं। इसलिए मुम्बई आना जाना लगा रहता है । एक घर मुम्बई में भी है । गांव विजवाडी से मैट्रिक तो सवाई माधोपुर से ग्रेजुएशन के बाद मुम्बई चले गये अपने जीजा राजेंद्र चौहान के पास जो जया भादुड़ी और डैनी आदि कलाकारों के सम्पर्क में थे । बड़े भाई सुरेंद्र राजावत भी मुम्बई में साउंड इंजीनियर के रूप में व्यस्त थे । पहले तो मैंने सहायक निर्देशन का काम किया लेकिन फिर बड़े भाई के पदचिन्हों पर चलते हुए साउंड इंजीनियर ही बन गया ।
-किनके साथ काम किया साउंड इंजीनियर बन कर ?
-सुभाष घई की परदेसी और संजय लीला भंसाली की एक फिल्म खामोशी में । इसके बाद तो फिर गुरदास मान, कुमार शानू, दलेर मेहंदी, हंसराज हंस आदि सबकी रिकार्डिंग के लिए पहली पसंद बन गया ।
-मुम्बई में क्यों नहीं रहे ?
-बस, वक्त,परिवार,काम। बाद में कुछ समय चंडीगढ़ भी रहे बड़े भाई के साथ लेकिन वहां दिल नहीं लगा । इसलिए नोएडा आकर गुलशन कुमार के स्टूडियो में रिकार्डिंग करने लगा । सबसे ज्यादा मेरी रिकार्डिंग की बुकिंग होती ।
-और किस किस के गीतों में साउंड रिकार्डिंग का काम किया ?
- सुरजीत बिंदरखिया, मनोज तिवारी , कुमार वीशू,दलेर मेहंदी , हंसराज हंस की एल्बम में मेरी ही साउंड रिकाॅर्डिंग है ।
-- प्रोड्यूसर लाइन में कब से हैं?
-वैसे तो मैं साउंड रिकार्डिंग से फिल्म निर्माण तक कदम पहले ही बढ़ा चुका था । सन् 2008 से अनहद फिल्म प्रोडक्शन कम्पनी बनाई । पहली फिल्म बनाई ''वन वे ट्रैफिक" जो नशे के बढ़ते प्रचलन से युवा पीढ़ी को रोकने का संदेश देती है । इसमें मेरे साथ प्रोड्यूसर थे बलवीर अग्रवाल । फिर राजस्थान की घिनौनी "चूड़ा"प्रथा को लेकर फिल्म बनाई । इसमें वह प्रथा है जिसमें मां बाप ही चूड़े के नाम पर बेटियों को बेचते हैं । आगे से आगे बिकती चली जाती हैं लड़कियां । इसे पुरस्कार भी मिले । इसमें चंद्रचूड़ को लिया था । महाभारत के अर्जुन भी हैं इसमें । एकता तिवारी हीरोइन । मजेदार बात कि मलयालम में भी 52 एपीसोड का सीरियल बनाया जिसे पुरस्कार मिला सरकार से । आजकल राजस्थान सरकार के कोरोना संबंधी विज्ञापन भी बना रहा हूं । एक असमी फिल्म भी की, फिर करीम मोहम्मद और अब दादा लखमी।
-यशपाल से कैसे जुड़े?
-करीम मोहम्मद फिल्म के निर्माण के दौरान मिले, मैंने उन्हें पूरे प्रोसेस में देखा। यशपाल शर्मा और मेरे बेटे हर्षित ने इसमें पिता पुत्र का रोल किया है । तभी लगा हमें जुड़ कर काम करना चाहिए, अभी लग रहा है मैंने कोई गलती नहीं की। यशपाल को मेरे बेटे की एक्टिंग बहुत नेचुरल लगी थी,उसने और डायरेक्टर पवन शर्मा ने काफी कुछ सिखाया हर्षित और टीम को,एक टीचर और बाप की तरह।
-दादा लखमीचंद का प्रोड्यूसर बनने का फैसला कैसे लिया।
-करीम मोहम्मद फिल्म की शूटिंग हिमाचल के जंजहैली में चल रही थी । इस समय हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी शूटिंग के समय मौजूद रहते थे क्योंकि वे तब वहीं से विधायक थे । हम सभी एकसाथ बैठे थे जब यशपाल शर्मा ने लखमीचंद फिल्म के बारे में और कहानी के बारे में बताया । इसकी रागिनी और कहानी ने बहुत प्रभावित किया । तब मैंने यशपाल को कहा कि हम इस पर मिल कर काम कर सकते हैं । इस तरह एक राजस्थानी आदमी हरियाणवी फिल्म पर पैसा लगाने को तैयार हो गया । जबकि यशपाल फिल्म के को प्रोड्यूसर बन गए।
-बेटे हर्षित का इसमें भी कोई रोल है ?
-जी । मैं तो इसके हक में नहीं था लेकिन यशपाल ने कहा कि प्रतिभाशाली कलाकार को अपनी फिल्म में क्यों न लूं ? बेशक छोटा ही सही पर मै लूंगा एक रोल में, जिसमें बिल्कुल फिट है। जब ऑडिशन कर कलाकार ढूंढ रहे हैं तो जो मिल रहा है और जिसके साथ पूरी करीम मोहम्मद फिल्म कर चुका, उसके लीड रोल में, उसे कैसे न लूं ?
-क्या रोल है हर्षित राजावत का ?
-लखमीचंद के दोस्त जयलाल के बचपन का प्यारा सा किरदार। इसलिए मुझे शूटिंग में भी हरियाणा में रहना पड़ा कई दिन । पत्नी विजय लक्ष्मी को भी ।
-इसका बजट कैसे बढ़ता गया ?
-यह सोच कर चले थे कि कम बजट में ही फिल्म बन जाएगी लेकिन इसमें उत्तम सिंह जी जैसे संगीतकार को लेते ही बजट बढ़ा , लगभग दो महीने दो शेड्यूल संगीत तैयार हुआ,एक शेड्यूल मुंबई में,अभी दो शेड्यूल बाकी है डबिंग के बाद,और फिर शूटिंग भी चालीस दिन की बजाय लगभग दो माह तक चली । दो दो यूनिट ,30-40 एक्टर्स एक साथ काफी काफी दिनों तक, होटल, खाना, गाड़ी, मेक अप वैन, जेनरेटर,दो दो कैमरे,48 डिग्री तापमान, दो शेड्यूल।डेढ़ सौ से लेकर दो सौ तक लोग । बजट देखते देखते चार गुणा हो गया । यानी एक करोड़ से बनने वाली फिल्म चार करोड़ तक पहुंच जाएगी। फिर भी एक संतुष्टि है कि जैसी फिल्म मैं और यशपाल चाहते थे वैसी बन गयी । यह बहुत खुशी की बात है ।
-आप जमाल गांव में फिल्म के मुहूर्त पर आए थे ?
-जी । बिल्कुल आया था ।
- क्या कहेंगे यशपाल शर्मा के बारे में?
-ऐसा समर्पित कलाकार नहीं देखा । आत्म विश्वासी,मेहनती, ईमानदार अपनी कला को लेकर । एक बेहतर इंसान । बहुत बहुत शुभकामनाएं ।