एक ने देखा, दूसरे ने दिखा दिया
पत्रकार कमलेश भारतीय का नज़रिया
राजनीति भी क्या चीज है। कोई दिखा देता है तो कोई देख लेता है। हांसी व हिसार की दो दिन में दो घटनाएं यही साबित कर रही हैं कि सत्ता का नशा आकाओं को तो पता नहीं कितना चढ़ा लेकिन इनके कार्यकर्त्ताओं के सिर पर चढ़ा जरूर है। हांसी में भाजपा के महामंत्री एसडीएम को देख लेने की धमकी देते हैं और दूसरे दिन विधायक के साथ गुप्त कमरे में समझौता कर लेते हैं। यह बात वीडियो वायरल नहीं हो पाई कि किसने देखा एसडीएम को कि उनके साथ क्या हुआ? इधर हमारे ही अर्बन एस्टेट में कोविड 19 का पोस्टर लगाने गये डाॅक्टर को यह पोस्टर लगाने से न केवल रोका गया बल्कि धमकाया भी गया कि देख लेंगे और दिखा भी दिया ट्रांसफर करवा कर।डाॅक्टर की ड्यूटी कोविड -19 से हटा कर मलेरिया जांच पर लगा दी और बहुत आसानी से कह दिया कि इस डाॅक्टर की वहां ज्यादा जरूरत है और यह भी कि यह ट्रांसफर आम रूटीन की बात है। जबकि डाॅक्टर अपनी फेसबुक पर बता रहे हैं कि पचास दिन सेवा की और प्रतिफल यह मिला। अपने परिवार को भूला रहा लेकिन विभाग ने भी सम्मान यह दिया कि एक पार्टी के कार्यकर्त्ता के कहने पर ट्रांसफर आर्डर थमा दिए। डाॅक्टर का कहना है कि जब पटेल नगर के किसी गरीब के घर पोस्टर लगा सकता हूं तो अर्बन एस्टेट के किसी अमीर बाप के घर क्यों नहीं लगा सकता? बड़े अधिकारी कह रहे हैं कि यह सिविल अस्पताल का मामला है। किसे कहां, किस जगह ड्यूटी पर रखना है वे ही जाने। जब विभाग ही सम्मान नहीं देने को तैयार, फिर जनता से तालियां या पुष्प वर्षा कैसी और क्यों? हालांकि कुलदीप विश्नोई ने मांग उठाई है कि डाॅक्टर को वापस लगाओ। पर यह राजनीति है। यहां विपक्ष की कौन परवाह करता है और अगर कुलदीप विश्नोई ने बात उठाई है तो इस बात को पूरा फाॅलो करें, छोड़ें नहीं तो माने। यह प्रेसनोट की राजनीति किसी काम नहीं आएगी। पर सवाल यह उठता है कि क्या जजपा या भाजपा अपने देखने और दिखाने वाले कार्यकर्त्ताओं पर कोई कार्यवाही कर अपनी छवि सुधारने की कोशिश करेगी या फिर कार्यकर्त्ताओं को शह देंगीं? आज तक इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय या उसके विधायक बेटे पर कोई कार्यवाही हुई हो तो बताइए। मेरी जानकारी में तो नहीं है। छत्तीसगढ में जब अजीत जोशी मुख्यमंत्री थे तो उनके बेटे के मिजाज भी कम बिगडे नहीं थे। ऐसे ही कार्यकर्ता उदंड होते जायेंगे। कोई नियम, कोई सामाजिक संकोच कुछ तो होगा? कि बस पार्टी कुछ भी होने देगी?