समाचार विश्लेषण/कान के नीचे और मुर्गी चोर
-*कमलेश भारतीय
हमारे राजनेताओं की भाषा का यह नया नमूना है-कान के नीचे और मुर्गी चोर । बात महाराष्ट्र की है । जहां मूख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ कान के नीचे बजा देता यानी थप्पड़ लगा देता का इस्तेमाल किया केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने । उनका कहना था कि यह बहुत शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को इतना भी पता नहीं कि आजादी के कितने साल हो गये । यदि मैं वहां होता तो उन्हे कान के नीचे बजा देता यानी थप्पड़ मारता । नारायण राणे खुद कभी शिवसेना में ही होते थे और अच्छी तरह यह बात जानते थे कि इसकी कितनी कड़ी प्रतिक्रिया आयेगी और वह आई । नासिक, महाड व पुणे में शिवसेना कार्यकर्त्ताओं ने उनके विरूद्ध केस दर्ज करवा दिये और आखिर केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद नारायण राणे को गिरफ्तार कर लिया गया । बेशक वे रात ग्यारह बजे जमानत पर बाहर आए । पर भाजपा का आरोप है कि उनका बीपी शूगर बढ़ा हुआ था और वे खाना खा रहे थे जब पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची । अब देखिए कि जब पुलिस गिरफ्तार करने जायेगी तो कुछ न कुछ तो करते ही होंगे राणे । राणे ने अपने बयान से जो बीपी व शूगर लेवल शिवसेना नेताओं का बढ़ाया उसकी जिम्मेदारी किस पर डालोगे दोस्तो ? आखिर बोलते समय सोचना चाहिए था । इस तरह जन आशीर्वाद यात्रा भी रोकनी पड़ी भाजपा को । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्ढा कह रहे हैं कि इससे न डरेंगे और न दबेंगे लेकिन नड्ढा जी ऐसे बोल क्या और कितने अच्छे हैं ? हालांकि बदले में शिवसेना सैनिकों ने भी कोई फूल नहीं बरसाये हैं राणे पर । बल्कि यह पोस्टर लगाये गये हैं कि राणे मुर्गी चोर हैं । एक समय राणे पोल्ट्री की दुकान चलाते थे । यह भी शोभनीय नहीं ।
वैसे राजनीति में भाषा का सौदर्य ढूंढना बहुत बड़ी मूर्खता होगी पर सरल सहज भाषा तो बोल ही सकते हैं राजनेता । हर तरफ भाषा का स्तर गिरता जा रहा है । हरियाणा में ही देखिए कभी माननीय मुख्यमंत्री को रिफ्यूजी कहने में संकोच नहीं किया जाता और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के घड़ियों का एयरपोर्ट पर पकड़े जाने का मामला व चौ भजनलाल की चुनरियां बेचने की बात बार बार उछाली जाती है । इनकी शारीरिक अक्षमता को भी निशाना बनाया जाता है जो बहुत दुखद है । मैंने हमेशा अपनी पत्रकारिता के दौरान इन बातों का बीच प्रेस कान्फ्रेंस में विरोध किया कि आप राजनीतिक मुद्दे उठाइए किसी की शारीरिक बनावट नहीं उछालिए ।
भाजपा के मीडिया सेल ने राहुल गांधी को पप्पू बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी तो कांग्रेस ने बराबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेकू साबित करने पर पूरा ज़ोर लगा दिया । अभी पंजाब के एक गुरुद्वारे में सन्नी देओल को सत्ता का दल्ला कह कर धक्के मारे गये । कभी अभिनेत्रियों के राजनीति में आने पर बहुत बड़ी नचनिया है यह, तक कहने में कोई संकोच नहीं किया जाता । ऐसी ही अनेक टिप्पणियों से आहत जयाप्रदा रामपुर संसदीय क्षेत्र में चुनाव रैली के दौरान रो दी थी । पंजाब में सिद्धू को मसखरा यानी काॅमेडियन कह देते हैं । बहुत उदाहरण दिये जा सकते हैं पर क्या राजनेता दूसरों पर इस तरह कान के नीचे वाले बयान देना कब बंद करेंगे ? बहुत सभ्य ढंग से राजनीति नहीं की जा सकती ? सबका यही मानना है कि जितने ज्यादा आक्रामक होंगे , उतने ही लोकप्रिय होंगे लेकिन आक्रामक मुद्दों से होना चाहिए न कि शब्दों और वो भी वे शब्द जो घोर आपत्तिजनक हों । फिर आपको गिरफ्तारी का सामना करना पडेगा चाहे आपका बीपी बढ़ा हो या शूगर । गिरफ्तार करने पुलिस आई है , कोई डाॅक्टरों की टीम नहीं । ध्यान रखिए विरोधी के प्रति भी सही शब्द बोलें ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।