देखो, देखो, आई हंसी आई/ कमलेश भारतीय द्वारा
यही जिंदगी है। आनंद फिल्म का भी यही संदेश है और अनेक धर्म गुरुओं का भी कि हर पल खुशी से जिओ। कल हो न हो।
दबंग के संगीतकार की जोड़ी में से एक संगीतकार वाहिद नहीं रहे । मात्र बयालिस वर्ष में चले गये । सलमान खान की प्रिय संगीतकार जोड़ी टूट गयी । आना जाना ऊपर वाले के साथ लेकिन जाना किस तरह है यह हमारे हाथ । सुना है कि आखिरी समय तक वाजिद अपनी सफल फिल्म दबंग के गाने गाते रहे और संगीत में ही मग्न इस जहान से विदा हो गये । क्या खूबसूरत विदाई । धन्य हो । अभी एक डेढ़ माह पहले अपने लोकप्रिय लवर ब्बाॅय ऋषि कपूर भी दुनिया से विदा हुए थे । आज उनके पिता की पुण्यतिथि भी है । तब भी यह बातें सामने आई थीं की अपने आखिरी समय तक वे अस्पताल के मेडिकल स्टाफ को हंसाते रहे थे । यह हुआ न मरना । यह हुआ न जीना । अपने आखिरी पल तक भरपूर जीना । इसे कहते हैं :
अपने पे हंस के जग को हंसाया
कहता है जोकर सारा जमाना
आधी हकीकत , आधा अफसाना ,,,
सबको पता है कि मेरा नाम जोकर में ऋषि कपूर ने ही बाल जोकर की भूमिका निभाई थी और जीवन के अंतिम पल तक जोकर ही रहे । यही संदेश है ऋषि कपूर और वाजिद का दुनिया के नाम -देखो , देखो , आई हंसी आई ।
मैंने कहा फूलों से
वे खिलखिला कर हंस दिए । मिली फिल्म का संदेश भी यही है । ज़िंदगी के हर पल को जिओ । अज्ञेय भी अपनी पुस्तक की भूमिका में संदेश देते रहे कि कल बीत गया और आने वाला कल क्या और कैसे होगा , कौन जाने । इसलिए हमारे पास आज ही है और यही सत्य है । उसमें यही पल ।खूब जिओ इसे । ओशो का संदेश भी यही है कि यही पल और यही दिन है आपके पास । इसे भरपूर जी लो । वे एक छोटी सी कथा भी कहते हैं कि जापान का एक संत था बोकोजू । वह हमेशा खुश रहते । उसके शिष्यों ने इसका रहस्य पूछा । बोकोजू ने बताया कि सुबह सवेरे उठ कर दर्पण के सामने खड़ा होकर खुद से ही पूछता हूं -बोकोजू , बता आज का दिन हंस कर गुजारना है या रोकर ? जब चाबी मेरे हाथ में है और फैसला मुझे ही करना है तो खुश रहकर दिन क्यों न गुजार लूं ? बस । इतना ही रहस्य है मेरे खुश रहने का । कोई दूसरा आपको चाबी क्यों लगाए ? कोई दूसरा आपको दुखी क्यों कर सकता है ?
यही जिंदगी है । आनंद फिल्म का भी यही संदेश है और अनेक धर्म गुरुओं का भी कि हर पल खुशी से जिओ । कल हो न हो ।