समाचार विश्लेषण/तुझे पराई क्या पड़ी, अपनी निबेड़
-कमलेश भारतीय
यह एक पुरानी कहावत है और सभी जानते हैं कि जब कोई किसी दूसरे के यहां ज्यादा दखलअंदाजी करे तब एक ताने के रूप में कही जाती है कि भई , यह हमारे घर का या आपस का मामला है । तुझे पराई क्या पड़ी?
ऐसा ही कुछ हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्वाधायक्ष और आजकल अपना भारत मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिरसा से पूर्व सांसद अशोक तंवर को कहने को मन कर रहा है ।
अब अशोक तंवर कांग्रेस से कैसे गये ? सब जानते हैं । अभी ज्यादा दिन नहीं हुए बात को , मामले को ।जब अशोक तंवर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे , राहुल गांधी के करीबी थे और सीधी सी बात पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धुर विरोधी । यदि हुड्डा रथयात्रा निकालते तो ये महोदय बराबर साइकिल यात्रा निकालते । इस तरह विधानसभा चुनाव आने से पहले तक यह सिलसिला इतना तेज़ हुआ कि इन्हें अपने समर्थकों के टिकट कटने की आशंका हो गयी जिसके चलते अशोक तंवर ने कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित आवास के सामने जो हाईवोल्टेज ड्रामा किया , वह कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा गया । इससे पहले राहुल गांधी के यूपी से लौटने पर स्वागत् में गये अशोक तंवर और हुड्डा के समर्थकों के बीच मारपीट हुई और नौबत पुलिस केस तक पहुंची । अशोक तंवर अस्पताल में दाखिल हुए और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हाल चाल जानने पहुंचे । इस तरह के कदमों से अशोक तंवर कांग्रेस से दूर होते चले गये और सैलजा को चंडीगढ़ में गुलाम नवी आजाद ने प्रधान कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में आशीर्वाद दिया । कहा भी कि मैं तो यह मानता हूं कि अध्यक्ष केवल दो तीन साल के लिए बनाया जाना चाहिए जिससे यह मन में रहे कि इसे छोड़ना है । यह बात अशोक तंवर की ओर संकेत कर कही गयी थी और वे आए भी नहीं थे और आखिर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था ।
अब विधानसभा चुनाव के बाद अशोक तंवर ने अपना संगठन अपना भारत मोर्चा बना लिया है ।विधानसभा चुनाव में वे कभी अभय चौटाला के साथ भी दिखे । अब उन्होंने एक कमाल की बात कही है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले चौ बीरेद्र सिंह का तो अब उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह का केंद्र में मंत्री बनने का रास्ता रोक दिया । बताइए ? क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भाजपा में इतनी पैठ है या वे भाजपा के करीबी हैं ? हां , जब मुख्यमंत्री थे तब चौ बीरेंद्र के रास्ते में आ सकते थे लेकिन बृजेंद्र की राह में कैसे ? वैसे क्या कांग्रेस हाईकमान हुड्डा को इतना मान सम्मान देती है ? यदि ऐसा होता तो गुलाबी पगड़ी बांध कर वे जम्मू के जी23 समूह में न खड़े दिखाई देते । यदि कांग्रेस हाईकमान इतना मान सम्मान देती तो हुड्डा को समय रहते विधानसभा चुनाव से पहले पहले हरियाणा का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया जाता ताकि कांग्रेस को खड़ा करने में कुछ समय मिल जाता लेकिन कांग्रेस हाईकमान तो खामोशी धारण किये बैठी रही और अशोक तंवर भी इसी खामोशी के खिलाफ कांग्रेस छोड़ गये । यदि कांग्रेस में रह कर हाई कमान को ही न पढ़ पाये तो क्या किया ? अशोक तंवर ने सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल को भी मंत्रिम॔डल में न लिए जाने पर दुख व्यक्त किया है । एक और मज़ेदार बात कही है कि हुड्डा चाहे नाक रगड़ कर हाईकमान को अपील करे लेकिन सैलजा को अध्यक्ष पद से नहीं हटा पायेंगे । मजेदार बात कि आज की ताज़ा इंटरव्यू में हुड्डा कह रहे हैं कि यह विधायकों की मांग है कि ओमप्रकाश चौटाला के जेल से रिहा होने के बाद प्रदेश में मजबूत नेतृत्व दिया जाये । यह उनकी मांग नहीं है कि किसी को हटाया जाये । अब ऐसी बातों को बीच तो अशोक तंवर जी के लिए यही कहा जायेगा कि वे अपने भारत मोर्चा के बारे में सोचें। लेकिन राजनीति इसी का नाम है । हमेशा दूसरों की आलोचना करना । यही अरूण जेटली कहते रहे कि कांग्रेस अपना घर संभाल नहीं पाती और दोष भाजपा को देती है । अब घर तो लगातार ब॔टता जा रहा है । फिर कांग्रेस हाईकमान देर किसलिए लगा रही है?