समाचार विश्लेषण/आप सही कह रहे हैं। यह ठीक नहीं लग रहा।अरूण यह स्वर्णिम खेल हमारा ...
-कमलेश भारतीय
नीरज चोपड़ा ने आखिर एथलेटिक्स की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत लिया और तिरंगा फहरा दिया । जन गण मन की धुन बजी जिसे सारे विश्व ने सुना । जयशंकर प्रसाद की पंक्तियां है :
अरूण यह मधुमय देश हमारा
जहां पहुंच अनजान क्षितिज को
मिलता एक सहारा ...
नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक दिला कर इसे बदल दिया:
अरूण यह स्वर्णिम देश हमारा
कितने कितने सालों बाद । पहले हाॅकी , बैडमिंटन ,मुक्केबाजी , फिर पहलवानी और आखिर में भाला फेंक में पदक दिलाये । देश झूम उठा । नीरज चोपड़ा ने इस स्वर्ण पदक को मिल्खा सिंह को समर्पित किया क्योंकि इस वर्ष कोरोना ने उनको लील लिया । बहुत दुखद । वे हमारे हीरो थे । खिलाड़ी हमारे हीरो हैं और रहेंगे । हम और हमारी नयी युवा पीढ़ी इनसे प्रेरणा लेगी और खेल स्टेडियमों में खिलाड़ियों का जमावड़ा बढ़ेगा । यही उम्मीद है । जिस पीढ़ी को नशे की शिकार बता रहे थे उसमें नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी भी हैं जो जिम में पसीना बहाते हैं । मीरा चानू है , पी वी सिंधू है , रवि दहिया है , हमारी महिला व हाॅकी टीम की छोरियां हैं ।।सब तो प्रेरणा दे रहे हैं कि खेलोगे , कूदोगे तो बनोगे नवाब । बन गये न नवाब । नीरज चोपड़ा को छह करोड़ रुपये मिलेंगे तो हाॅकी खिलाड़ियों को उनके राज्य सब कुछ देने जा रहे हैं । चौथे स्थान पर रहीं हाॅकी खिलाड़ियों को पचास पचास लाख रुपये मिलेंगे । सच खेल क्या नहीं देते ? नौकरियां भी दी जा रही हैं और प्लाॅट भी । और क्या चाहते हो ?
नीरज चोपड़ा रात भर सोचता रहा कि कल सुबह तिरंगा फहराने का दिन होगा और उसने खुली आंखों देखा सपना पूरा कर दिखाया । पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम की बात सच कर दी -सपने वह होते हैं जो हमें सोने न दें । सच कर दिखाया अपना सपना । देश का सपना । सबका सपना।
आओ फिर ख्वाब देखें अगले ओलम्पिक के जब भारत इससे बेहतर प्रदर्शन करेगा । शुभकामनाओं सहित ।