समाचार विश्लेषण/बिहार में जंगलराज या लोकतंत्र?
-*कमलेश भारतीय
क्या बिहार में दो चार दिन में ही जंगलराज लौटा है या लोकतंत्र ? भाजपा के प्रवक्ता डाॅ संबित पात्रा एक ऐसे डाॅक्टर ठहरे जो दो चार दिन में ही बिहार में 'जंगलराज' के लौटने की दुहाई देने लगे हैं । क्या हुआ डाॅक्टर संबित पात्रा जी ? इतनी जल्दी रोग पहचान लिया ? बड़े काबिल डाॅक्टर जो ठहरे ! इससे पहले जब तक भाजपा के गठबंधन मे नीतिश कुमार सरकार चला रहे थे , तब कौन सा राज था ? रामराज क्या ? क्या जहां जहां भाजपा शासन करती है , वहीं वहीं रामराज होता है ? बाकी प्रदेशों में जंगलराज होता है क्या ? आप कोई नया चश्मा लगाइए और फिर देखिए बिहार को । वहां लोकतंत्र लौटा है कि नहीं ? वहां विपक्ष ने भाजपा को चुनौती दी है या नहीं ? चुनौती मिलते ही 'जंगलराज' का इल्जाम लगाते कोई संकोच भी नहीं किया ? क्या इतनी जल्दी सब बदल जाता है डाॅक्टर पात्रा ? सोचने की बात है कि नहीं ? वैसे ईडी आएगी जरूर बिहार में । बड़ी बेलज्जत है यह ईडी । रंग दिखायेगी जरूर । बेशरम कहीं की । फिर भी तेजस्वी ने कह दिया है कि हम बिहार के लोग 'टिकाऊ' हैं और 'बिकाऊ' तो बिल्कुल नहीं हैं । तेजस्वी ने दिल्ली में सोनिया गांधी , सीताराम येचुरी और डी राजा जैसे नेताओं से मुलाकात भी की और विपक्ष को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम उठाया । दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने फिर विपक्ष को मजबूत करने की बात दोहराई है । नीतिश कुमार ने सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग पर कहा कि जिन लोगों को इन एजेंसियों के दुरुपयोग की आदत पड़ गयी है , उन्हे जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा । बिखरे विपक्ष की भूमिका पर नीतिश कुमार का कहना है कि हमारी भूमिका सकारात्मक होगी । और प्रधानमंत्री पद पर कहा कि मेरी ऐसी कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं है ।
बड़ी मुश्किल से सीताराम येचुरी सामने आए या इनकी चर्चा सुनीं । लालुप्रसाद की भूमिका में तेजस्वी आने की कोशिश कर रहे हैं । देखिए । विपक्ष इससे कोई प्रेरणा लेगा और एकजुट होने की ओर कदम दर कदम बढ़ायेगा ? क्या मायावती में साहस लौटेगा कुछ कहने का ? क्या कांग्रेस इससे कुछ विश्वास प्राप्त करेगी ? क्या केजरीवाल साथ आयेंगे ? बहुत सारे सवेल हैं और जवाब देगा आने वाला समय ,,,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।