एक आम आदमी का जीवन जीना और वायलिन बजाना
दोस्त को तैयारी करवाते बन गये आईएएस
सुप्रीम जनप्रतिनिधि होते हैं और लागू करते हैं योजनाओं को अधिकारी : वी उमाशंकर
-कमलेश भारतीय
संविधान के अनुसार सुप्रीम तो चुने हुए जनप्रतिनिधि ही होते हैं लेकिन योजनाओं को लागू करते हैं अधिकारी । क्रियान्वयन आईएएस के हाथ । इसलिए महत्त्वपूर्ण यह है कि योजना को लागू करते समय हमारी कितनी इच्छा है और समर्पण है । यह कहना है हरियाणा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वी उमाशंकर का । वे हिसार में भी अनेक पदों पर रहे और सिरसा के उपायुक्त भी । इसके अतिरिक्त अम्बाला , रोहतक और पलवल में भी अपनी सेवायें दीं । हिसार रहते समय मुझे याद है कि विद्युत विभाग के सब डिटेल्स उनके मन में रहते थे और बिना किसी नोट्स के वे मीडिया से रूबरू होते थे । हंस कर मुझसे पूछते वो पत्रकारों वाली डायरी है । निकालो और लिखो । पिछले दिनों गुजवि के कुलसचिव अवनीश वर्मा के यहाँ गया तब वादा लिया कि एक बार इंटरव्यू होगी । आज बातचीत हुई । वादा पूरा । मूलतः तमिलनाडु के रहने वाले वी उमाशंकर ने ग्रेजुएशन तो मुम्बई से की और आईआईएम बंगलूर से ।
-पहली जाॅब ?
-जापानी कम्पनी में ।
-आईएएस कैसे बने ?
-मज़ेदार किस्सा । एक दोस्त आईएएस की तैयारी कर रहा था । उसे पढ़ाई में मदद करते करते खुद भी एग्जाम दे दिया और चुना गया । वे तो नहीं बन पाये आईएएस पर मैं बन गया । तैयारी करवाते करवाते ।
-पहली पोस्टिंग कहां ?
अंडरट्रेनिंग में पोस्टिंग अम्बाला में । फिर रोहतक , पलवल और फिर रोहतक के बाद हिसार में विभिन्न पदों पर छह साल । सिरसा के उपायुक्त का कार्यभार भी संभाला ।
-अब सबसे बड़े पद पर आकर क्या अनुभव करते हैं ?
-ईजी गोइंग । इंजाॅय कर रहा हूं अपनी जिम्मेदारी को ।
-क्या आपको लगता है कि आईएएस बनने का युवाओं में आकर्षण कम हुआ है ?
-नहीं । दक्षिणी राज्यों में तो बिल्कुल नहीं । हां । उत्तर भारत में कुछ कम हुआ है । पर समर्पण और देशसेवा के लिए यह आईएएस आज भी युवाओं में आकर्षण रखता है नि:संदेह ।
-आप दक्षिण राज्य के और ड्यूटी उतार भारत में और शादी भी एक पंजाब की मूल निवासीआईएएस दीप्ति जी से । कैसे निभ रही है?
-बन जाती है अंडरस्टेंडिंग बनते बनते । मौन सबसे बढ़िया भाषा । डिफरेंसिज पर फोकस नहीं होना चाहिए । सब मज़ेदार ।
-आपके दो बेटियां ही हैं । कैसा लगता है ?
-ए प्राउड फादर । कभी सोचा ही नहीं कि बेटियां हैं । बच्चे हैं । यही खुशी । दोनों अच्छा पढ़ लिख गयीं ।
-क्या शौक हैं आपके ?
-रीडिंग और वायलिन बजाना ।
-क्या सीखा वायलिन वादन ?
-जी । लेकिन अब व्यस्तताओं में समय नहीं मिलता ।
-कुछ वर्ष बाद जब सेवानिवृत होंगे तब का प्लान क्या है ?
-एक आम आदमी की तरह जीवन बिताना और वायलिन बजाना ।
हमारी शुभकामनाएं वी उमाशंकर जी को ।