सांस्कृतिक पत्रकारिता में जो कुछ सीखा वह नई पीढ़ी को देना चाहता हूं : अजित राय
-कमलेश भारतीय
मैं एक सांस्कृतिक पत्रकार हूं -साहित्य, रंगमंच , सिनेमा और संस्कृति के क्षेत्र में जो काम किया , उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचा सकूं, यह कहना है संस्कृति कर्मी व फिल्म समीक्षक अजित राय का । अजित राय हिसार में चल रहे रंग आंगन नाट्योत्सव में गरिमामयी उपस्थिति के रूप में मौजूद रहे । मेरा इनका संबंध पिछले पंद्रह बीस वर्षों से है जब हम दोनों कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा समारोहों व साहित्यिक कार्यशालाओं में एक साथ रिसोर्स पर्सन व निर्णायक होते थे । यह श्रेय रंगकर्मी व पूर्व निदेशक अनूप लाठर को जाता है ।
अजित राय मूलतः बक्सर, बिहार के रहने वाले हैं । वे मनोविज्ञान और पत्रचारिता एवं जनसंचार , दो दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट ( एम ए) है। मनोविज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय से तो पत्रकारिता कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से की ।
-पत्रकारिता की शुरूआत कहां से ?
-पटना के निकट डूमरांव से । हिंदुस्तान पटना संस्करण से । सन् 1989 से । फिर दिल्ली में एन सी ई आर टी में एक वर्ष का निर्देशन व परामर्श का डिप्लोमा किया । यू जी सी फैलो भी रहा ।
-आगे ...
-नवभारत टाइम्स में सन् 1994 से तीन साल रिपोर्टर । सन् 1999 में जनसत्ता में रिपोर्टर । फिर दूरदर्शन की पत्रिका दृश्यांतर का संपादक बना । इसके एक दर्जन अंक निकाले । फिर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका रंग प्रसंग का संपादन किया। सन् 2015 से स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता ।
-कितनी पुस्तकें ?
-इंटरव्यूज की पुस्तक -अंधेरे में चमकती आवाजें । जिस लाहौर नहीं वेख्या असगर वजाहत के नाटक पर पुस्तक ।
-कौन प्रेरक रहे पत्रकारिता में ?
-बीबीसी के मार्क टुली , अच्युतानंद मिश्र और प्रभाष जोशी ।
-पुरस्कार?
-सिनेमा के पांच और नाटक समीक्षा के पांच पुरस्कार । अभिनव रंग मंडल , उज्जैन का प्रतिष्ठित पुरस्कार भी शामिल इसी में । खजुराहो फिल्म समारोह का भारत गौरव सम्मान ।
-आज मीडिया के बारे में क्या राय ?
-आधी आधी ।
-कैसे ?
- पत्रकारिता के रक्त में ही ईमानदारी है । गांधी जी कहते थे कि कई बार सत्य पराजित जैसा दिखता है लेकिन अंततः जीतता वही है । अंततः पत्रकारिता ही जीतेगी । विश्वसनीयता पर आंच आई है । पर वैकल्पिक मीडिया ने कमी पूरी कर दी ।
-जहां तक मुझे ध्यान है कि हरियाणा में पहला फिल्म फेस्टिवल आपकी कोशिशों से हुआ था ? क्या सही ?
-जी । सही । यमुनानगर के डी ए वी महिला महाविद्यालय में हरियाणा सरकार के सहयोग से । सन् 2008 से ।
-हरियाणवी सिनेमा के बारे में क्या कहोगे ?
-अभी शैशवावस्था में है । चंद्रावल , लाडो, पगड़ी-द ऑनर और अब आने वाली है यशपाल शर्मा की दादा लखमीचंद । इससे बड़ी आशाएं हैं ।
-लक्ष्य ?
-संस्कृति कर्मी के तौर पर अपने अनुभवों को युवाओं में बांटना ।
हमारी शुभकामनाएं अजित राय को ।