महिला पत्रकार को समाज और परिवार से चुनौतियां और खतरे ही खतरे: गीताश्री
-कमलेश भारतीय
महिला पत्रकार को न केवल परिवार बल्कि समाज से अनेक खतरे और चुनौतियां मिलती हैं । अधिकांश परिवार ही महिला पत्रकार को सपोर्ट नहीं करता । दूसरी बात प्रिंट में महिला पत्रकार कम आ रही हैं और इलैक्ट्रानिक में ज्यादा । यह कहना है रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित, कथाकार और सोशल एक्टीविस्ट गीताश्री का । वे हिसार के रंग नाट्योत्सव में आमंत्रित थीं और लजीज होटल में बातचीत कर रही थीं । मेरी बेटी रश्मि भी साथ साथ रहीं और हमारे फोटोज करती रहीं । गीताश्री मेरी फेसबुक मित्र हैं और हम एक दूसरे की गतिविधियों से परिचित । हिसार आने की सूचना पाकर खुशी हुई और इस तरह आभासी दुनिया से बाहर हमारी मुलाकात हुई । गीताश्री मूलतः बिहार के वैशाली ज़िला निवासी हैं लेकिन निवास मुज़फ़्फ़रपुर शहर में हैं और एम ए हिंदी बिहार विश्वविद्यालय से की । रिजल्ट घोषित होने से पहले ही वे दिल्ली आईं तो पीएचडी करने के इरादे से और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से शुरू भी की लेकिन अधबीच ही छोड़ कर पत्रकारिता में आ गयीं ।
-कैसे आ गयीं पत्रकारिता में ?
-स्वतंत्र भारत से शुरुआत । फिर अक्षर भारत में ।
-इसके आगे कहां कहां ?
-डी डी न्यूज में छह माह । फिर वेब दुनिया में दिल्ली ब्यूरो चीफ । फिर आउटलुक में बारह तेरह साल । महिला पत्रिका बिंदिया की संपादिका । लाइव इंडिया डिजिटल और अब स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता ।
-किनको पत्रकारिता में अपना प्रेरक मानती हैं ? -मैंने जिन संपादकों के साथ काम किया, उमेश आलोक मेहता , घनश्याम पंकज और माधवकांत मिश्र। -कितने संग्रह आए अब तक ?
-आठ दस तो संपादित । सात कहानी संग्रह, तीन उपन्यास और चौथा लिख रही हूं ।
-महिला पत्रकारिता को लेकर क्या अनुभव ?
-महिला पत्रकारिता में परिवार और समाज से लेकर खतरे ही खतरे और चुनौतियां ही चुनौतियां । वैसे ही लेखक पत्रकार का सम्मान समाज में कम । एक कस्बे से आई थी और पत्रकारिता की पढ़ाई भी नहीं की थी पर अच्छे संपादक मिले और मैं सीखती चली गयी ।
-महिला पत्रकारों में किसने प्रभावित किया ?
-महिला पत्रकारों की वैसी परंपरा नही रही । फिर भी अंग्रेजी पत्रकार ऋतु सरीन , हिंदी में इरा झा , मणिमाला जैसी जुझारू पत्रकार पसंद हैं ।
-कोई पुरस्कार?
-अनेक पुरस्कार लेकिन रामनाथ गोयंका पुरस्कार पाकर गर्व हुआ । राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मिला ।
-अब सोशल एक्टीविस्ट बन कर कैसा अनुभव?
-असल में आज के मीडिया को देखते हुए लगता है कि सन् 2017 में स्वतंत्र लेखन और पत्रकारिता का फैसला बहुत सही फैसला रहा क्योंकि मीडिया का नियंत्रण लगभग सत्ता के हाथों में चला गया । पत्रकारिता आज एक करियर मात्र रह गयी , मिशन नहीं । अच्छा हुआ मैं घुटने टेकने से पहले बाहर आ गयी ।
-विवाह किससे और कैसे ?
-प्रखर पत्रकार अजीत अंजुम से । वे दिल्ली अमर उजाला में थे जब परिचय हुआ और फिर हम विचारों से करीब आए और शादी हो गयी ।
-आपका मुख्य एजेंडा ?
-स्त्री मेरा मुख्य एजेंडा । सच को सच कह सकूं और झूठ का पर्दाफाश कर सकूं । यही मेरा एजेंडा ।
हमारी शुभकामनाएं गीताश्री को ।