समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन: किसी गोदो का इंतजार 

समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन: किसी गोदो का इंतजार 
कमलेश भारतीय।

- कमलेश भारतीय 

किसान आंदोलन कोई पहला आंदोलन नहीं और न शायद आखिरी आंदोलन है । स्वतंत्रता पूर्व भी पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन चला और लाला लाजपत राय शहीद हुए । वैसे स्वतंत्रता पूर्व के इतिहास में सर छोटूराम भी हुए जिन्हें किसानों के लिए काम करने और कल्याण के लिए जाना जाता है । पर उनके नाती उनका नाम और विरासत तो संभाले हुए हैं लेकिन न्याय नहीं कर पा रहे । दुविधा में हैं , इधर जाऊं या उधर जाऊं ,,,,? महात्मा गांधी ने नमक बना कर कानून तोड़ा था और जनता ने साथ दिया । वह जनता की जरूरत थी । जनता को एक नेतृत्व दिया महात्मा गाँधी ने और उनकी आवाज़ बने ।

स्वतंत्रता के बाद किसान आंदोलनों में महाराष्ट्र के शरद और महेंद्र सिंह टिकैत के नाम आते हैं । अन्ना हजारे को दूसरा गांधी कहा जाने लगा था  , उस आंदोलन से अन्ना तो पृष्ठभूमि में चले गये और हमारे हिसार के अरविंद केजरीवाल का उदय हुआ । उदय हुआ एक नयी पार्टी आम जनता पार्टी का । 
अब किसान आंदोलन में राकेश टिकैत तो हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल नहीं हैं । अन्ना हजारे न के बराबर और बाबा रामदेव भी नहीं । अब आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर को भी कोई चिंता नहीं । राम मंदिर की मध्यस्थता को भागे भागे आते रहे लेकिन किसान आंदोलन शायद इनके कार्यक्रम की सूची में ही नहीं । गृहमंत्री अमित शाह की प्राथमिकता है हरियाणा सरकार को बचाने की , न कि किसान आंदोलन पर विचार करने की । यदि कोई भामाशाह विपक्ष को मिल जाये तो हरियाणा सरकार औंधे मुंह गिरी दिखेगी पर भामाशाह सबके पास नहीं होते । हर कोई महाराणा प्रताप जैसा प्रभावशाली और नि: स्वार्थ भी नहीं कि उनके लिए कोई भामाशाह  सारा खजाना लुटा दे ।

फिर भी एक नाटक देखा था -गोदो की इंतज़ार । जिसमें हर कोई एक ऐसे व्यक्ति की इंतजार में है जो उसे संकटों से निकाल ले । मुझे पता नहीं क्यों लगता है कि किसान आंदोलन में किसी गोदो का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जा रहा है । कोई अरविंद केजरीवाल और कोई नयी पार्टी की उपज हो सकती है । जिस तरह से किसान एकता सामने आई है और जिस तरह से हिंदू मुसलमान और पंजाब हरियाणा की सीमाओं से ऊपर उठे हैं , जरूर कोई गोदो आयेगा । और एक नया सवेरा होगा । बल्कि होने ही वाला है ।