हिसार दूरदर्शन :अच्छा चलता हूं
दुआओं में याद रखना!
बंद हुए एक साल। धरना अभी तक जारी।
-कमलेश भारतीय
पिछले वर्ष चौदह दिसम्बर को सूचना व प्रसारण मंत्रालय की ओर से हिसार दूरदर्शन को बंद किये जाने के आदेश आये थे और लगभग बीस इक्कीस साल के बाद यह दूरदर्शन केंद्र अचानक बंद कर दिया गया और इसे चंडीगढ़ शिफ्ट कर दिया गया । मजेदार बात यह कि सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर पिछले वर्ष चार दिसम्बर को हिसार दूरदर्शन का निरीक्षण करने आये थे और दस दिन बाद ही इसे बंद करने व चंडीगढ़ शिफ्ट किये जाने के आदेश आ गये थे। स्थायी स्टाफ को यत्र तत्र ट्रांस्फर कर दिया और अस्थाई स्टाफ की छुट्टी हो गयी। इस तरह कम से कम पैंतीस अस्थायी कर्मचारी बेरोजगार हो गये।
हिसार दूरदर्शन का नाम बदल कर पहले ही हरियाणा दूरदर्शन कर दिया गया था । इसमें युवाओं, महिलाओं, किसानों और हरियाणवी कलाकारों को अवसर मिल रहा था। कृषि दर्शन किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा था । यह बात भी सामने आई कि आकाशवाणी के प्रभारी पवन कुमार ही दूरदर्शन के प्रभारी थे यानी राजकुमार नाहर की ट्रांस्फर के बाद कोई स्थायी केंद्र निदेशक भेजा ही नहीं गया और इससे भी मंत्रालय की मंशा जाहिर हो जाती है। हिसार दूरदर्शन चौ देवीलाल की स्मृति के साथ जोड़ा गया था और तत्कालीन सूचना व प्रसारण मंत्री व हरियाणा की बेटी सुषमा स्वराज ने इसका उद्घाटन किया था। पहले दिन से ही समाचार बुलेटिन शुरू कर दिया गया था। पहले पहल दिल्ली से समाचार वाचक आते रहे। फिर हिसार में ऑडिशन के बाद हरियाणा के समाचार वाचकों का चुनाव किया गया जिनमें कुछ नाम याद हैं- कामिनी मलिक, मंजू संधू, आशुतोष मिश्रा, सारिका शर्मा, श्याम वाशिष्ठ आदि। समाचार संपादक भी पहले दिल्ली से आते रहे। फिर स्थाई समाचार संपादक अजीत सिंह आये जिन्होंने इस पंद्रह मिनट के बुलेटिन को बेहतर बनाने में अपना आकाशवाणी का पूरा अनुभव झोंक दिया। उनके बाद आये समाचार संपादकों में से पंकज शर्मा ने भी मेहनत करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। विधानसभा चुनाव पर वरिष्ठ पत्रकारों को आमंत्रित कर व्यावसायिक चैनलों जैसी चर्चा लगातार करवाई। इस तरह हिसार दूरदर्शन अपनी कार्य प्रणाली से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ रहा था। यह बात भी सामने आई कि सबसे अंत में हिसार दूरदर्शन केंद्र बना और सबसे पहले बंद किये जाने की गाज भी इसी पर गिरी। दूसरी बात हिसार केंद्र की स्थापना भाजपा के शासनकाल में ही हुई और इसे बंद करने के आदेश भी भाजपा के शासनकाल में ही आये। अपने ही हाथों लगाये पौधे को अपने ही कार्यकाल में बंद कर दिया।
हिसार दूरदर्शन केंद्र से जुड़े अस्थायी कर्मचारियों, हरियाणवी कलाकारों और समाजसेवी संस्थाओं ने थक हार कर तीन जनवरी से दूरदर्शन केंद्र के गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया और सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों व सांसदों को ज्ञापन देकर पूरी स्थिति से अवगत करवाया। कहा गया कि यह केंद्र की नीति है जबकि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आश्वासन दिलाया कि कृषि कार्यक्रम यहाँ से प्रसारित करवाने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह आस भी टूट गयी जब पिछले सप्ताह इस केंद्र के सामान को ही इंजीनियरों का एक दल उखाड़ कर ले गया जबकि ट्रांसमीटर पहले ही ले जाया जा चुका था। सत्ताधारी दल के नेताओं से निराश होकर प्रदर्शन करने वाले विपक्षी नेताओं को धरने पर आमंत्रित करने लगे और ज्ञापन सौंपने लगे। इससे भी कोई हल न निकला। अब हिसार दूरदर्शन का भवन ही इसकी आखिरी निशानी के तौर पर बचा है और आवास कालोनी जिसमें कुछ कमर्चारी अब भी रह रहे हैं। बेशक धरना जारी है लेकिन लगता है कि हिसार दूरदर्शन यही कह रहा है कि
अच्छा चलता हूं
दुआओ में याद रखना!