गबरू और चिट्टा वाला शौक
-कमलेश भारतीय द्वारा
चिट्टा यानी नशा । नशा यानी एक बुरी लत । नशा यानी मस्ती । आज युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है । एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे तक । एक ऐसी श्रृंखला जो टूटती नहीं कोरोना वायरस की तरह । पंजाब में इस चिट्टे का आकर्षण युवा वर्ग में इस हद तक है कि अनुराग कश्यप ने उड़ता पंजाब यानी नशे में हवा में उड़ने की कल्पना पर फिल्म भी बनाई । हालांकि टाइमिंग गलत थी प्रदर्शन की । इसे पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़ कर `आप' और अरविंद केजरीवाल पर फंडिंग के आरोप लगाये गये थे । अब पंजाब के एक गायक की मृत्यु इस नशे के कारण बताई जा रही है । गायक है गगनदीप । मज़ेदार बात यह कि गबरू दी जान ले ली चिट्टे वाली लाइन ने गीत गाकर इस नशे के विरूद्ध सचेत भी किया । वही गायक उसके पिता के अनुसार नशे की ओवरडोज से इस दुनिया से चला गया । है न सुशांत सिंह राजपूत जैसी बात । जो सुशांत छिछोरे में आत्महत्या का विरोध करने की बात कहता है , वही सुशांत खुद आत्महत्या कर लेता है । अब कहा जा रहा है कि पटना में सुशांत की स्मृति में परिवार एक फाउंडेशन बनाने जा रहा है जो समाज , विज्ञान व कला के लिए काम करेगी । वैसे तो प्रसिद्ध गायक हंसराज हंस भी नशे के खिलाफ गीत गा चुके हैं : नशा करो न , वार करो ...बस नशे के खिलाफ वाल करो । पर शुक्र है कि खुद कोई ऐसा वैसा कदम तो नहीं उठाया । यदि गगनदीप को नशे से नफरत थी तो खुद नशे का आदी क्यों ? फिर क्या मेसेज जायेगा युवाओं के बीच ? नशा छुड़ाने के लिए बने केंद्रों में भी नशे के मिलने के समाचार आते रहते हैं । काॅलेज, यूनिवर्सिटी के हाॅस्टलों में युवा नशे करते पकड़े जाते हैं । लाॅकडाउन खुलते ही जितनी लम्बी कतारें शराब के ठेकों के बाहर लगीं उतनी तो राशन लेने के लिए नहीं लगीं । इतना प्रचलन बढ़ता जा रहा है नशे का । फिर गाने भी तो ऐसे ही हैं :
तेनूं पीनगे नसीबां वाले
नी नशे दिये बंद बोतले....
चलिए जैसे भी , जहां भी हो सके नशे के खिलाफ मुहिम तो चलाते रहिए ।