अपनी अपनी जादूगरी, अपने ही खेल
-*कमलेश भारतीय
लोकसभा चुनाव हों या कोई भी चुनाव सभी राजनीतिक दलों व इनके नेताओं की अपनी अपनी जादूगरी होती है और अपने ही खेल होते हैं जिससे दूसरों को फेल साबित कर सकें! आजकल यह काम राजनीतिक दलों के मीडिया प्रकोष्ठ बड़े अच्छे से करते हैं। जैसे भाजपा के मीडिया का सारा खेल यह साबित करना है कि राहुल गांधी पप्पू है और उसे राजनीति की बेसिक जानकारी भी नहीं है। कैसे कैसे चुटकुले वायरल किये जाते हैं! इसी प्रकार कांग्रेस मीडिया प्रकोष्ठ का एक ही उदेश्य कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेंकू साबित करना है । दोनों दलों के मीडिया प्रकोष्ठ पप्पू और फेंकू के नये से नये वीडियो/ ऑडियो और चुटकुले जारी करते रहते हैं । जैसे राहुल गांधी का चुटकुला कि गन्ने के खेत को देखकर कहते हैं कि इतनी लम्बी और ऊंची घास! और जब गन्ना बताया जाता है, तब पूछते हैं कि इस पर गुड़ कब लगेगा ? दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी का फोटो लगाकर लिखा गया कि सबसे पहली गारंटी मोदी ने मुझे दी थी, आप सोचो कि इनकी गारंटी कैसी होगी?
इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि कांग्रेस के पास तीन सौ प्रत्याशी भी नहीं हैं लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए तो मल्लिकार्जुन खड़गे कहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त प्रत्याशी हैं । ऐसे ही मोदी कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की सम्पत्ति पर पहला हक मुस्लिमों का है और राहुल गाँधी जवाब देते हैं कि प्रधानमंत्री जनता को मुख्य मुद्दों से भटकाना चाहते हैं और इस तरह के बयान दे रहे हैं लेकिन जनता अब भटकेगी नहीं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर बहुत सीधे हमला करते उनके बच्चों की ज्यादा संख्या को टारगेट करते कहते हैं कि और कोई काम ही नहीं किया और जब खुद मुख्यमंत्री न रह पाये तो राबड़ी देवी को ही मुख्यमंत्री बना दिया । बदले में तेजस्वी यादव ज्यादा समझदार निकले और बड़े नेता को इतना ही कहा कि चचा आपको क्या कहें और क्यों कहें? नीतीश कुमार जैसे नेता का इतना निचले स्तर तक उतर आना शोभा नहीं देता ।
हिसार आये पूर्व सांसद व अब भाजपा की टिकट पर कुरूक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे नवीन जिंदल से जब पूछा गया कि ईडी के डर से तो भाजपा में शामिल नहीं हुए तब ठसक से जवाब दिया कि मैं तो बाबू ओम प्रकाश जिंदल का बेटा हूँ, किसी से नहीं डरता । मैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुआ हूँ । अब कुलदीप बिश्नोई भी भाजपा में हैं और उन्हें हिसार से लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, वे अब आदमपुर में भी प्रधानमंत्री के काम काज गिनाने नहीं आये !
इस तरह शब्दों की जादूगरी का खेल दिन प्रतिदिन देखने, सुनने को मिल रहा है और यही कह सकते हैं:
ये तेरे प्यार की है जादूगरी!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी