समाचार विश्लेषण/राजनीति के डेरों पर डोरे क्यों?
-*कमलेश भारतीय
जब भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है तो राजनीतिक लोगों के पंजाबी हरियाणा के धार्मिक डेरों पर डोरे और दौरे क्यों ? सवाल है और बहुत वर्षों पुराना यह खेल है । अकाली दल की राजनीति भी इसी पर केंद्रित रही । जिसने स्वर्ण मंदिर की कमेटी को जीत लिया वह पंजाब में राज भी पा गया । इससे यह महत्त्व और भी बढ़ता गया । कमेटी में वर्चस्व की लड़ाई भी बढ़ती गयी ।
इधर हरियाणा के एक डेरे का महत्त्व पंजाब के चुनावों में पिछले कुछ वर्षों से बढ़ता गया है । मालवा क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर इस डेरे के अनुयायी बहुत बड़ा फेरबदल कर देते हैं । इसी को देखते हुए पंजाब के बड़े-बड़े नेता चुनावों से पहले यहां मस्तक नवाने जाते हैं । पंजाब में अमृतसर के पास भी एक डेरे पर राजनेता माथा नवाने जाते हैं और अन्य डेरों पर भी और उनके अनुयायियों पर भी डोरे डालते हैं । यही बड़ा कारण बताया जा रहा है डेरामुखी के संगीन अपराधों में सजा काटने के बावजूद तीन सप्ताह की पैरोल देने का । हालांकि जेल मंत्री , मुख्यमंत्री और यहां तक कि विपक्ष के नेता तक इसे एक कैदी के अधिकार बात कह कर इस बात को टाल रहे हैं । फिर डेरामुखी की ओर से जब एक अफवाह फैली कि नोटा का बटन दबाने के निर्देश दिये हैं तो फिक्र क्यों बढ़ गयी ? जनता चाहे तो डेरामुखी के निर्देश को अनसुना कर दे । फिर भी पंजाब ही नहीं हरियाणा की सरकारें बनाने में डेरे के रोल को सब जानने समझने लगे हैं । यह धर्मनिरपेक्ष देश में हो रहा है । पैरोल के बीच चुनाव आ गया या चुनाव के बीच पैरोल मिल गयी -कोई बता सकता है ? क्या सच हैं ? पैरोल में मीडिया दिखा ऐसे रहा है जैसे डेरामुखी अपने पोते पोतियों के साथ खेलने आया है पर यह सब समझ रहे हैं कि राजनीति का खेल खेलने आया है और पैरोल दी गयी है । कुछ तो कर्ज और फर्ज निभाना ही पड़ेगा कि नहीं ?
इधर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक वीडियो संदेश में सवाल पूछा है कि जब सात साल से आप राज कर रहे हो तो पूर्व और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कब तक दोष देते रहोगे ? आप महंगाई और बेरोजगारी पर बात नहीं करते , मुद्दों की बात नहीं करते । किसान आंदोलन के दौरान आपनः पंजाब और पंजाबियत को बदनाम किया । क्यों ? आप इतिहास को दोषी ठहरा कर अपने दोषों से कैसे बच सकते हो ? हर असफलता के लिए दोषी ठहरा दिये जाते हैं जवाहर लाल नेहरूऔर हर सफलता आपकी । वाह । जिसे मौनी मनमोहन सिंह कहते थे , वे बोलने लगे और आप मीडिया के कभी रूबरू न हुए । यह फर्क है ।
'भईया' वाले बयान पर कांग्रेस सफाई देते थक गयी पर प्रचार का समय बीत गया । नवजोत सिद्धू अपनी ही महत्त्वाकांक्षा में घिरते चले गये और क्रीज में कैद होकर रह गये । कैप्टन अमरेंद्र सिंह को क्या हासिल होगा ? वयोवृद्ध प्रकाश सिंह बादल कोई करिश्मा कर पायेंगे ? या पंजाब में आप ही आप की ओर वोटर झुक जायेंगे ? कितना सच और कितना झूठ प्रचार के दौरान जनसभाओं में बोले नेता यह हिसाब भी जनता कर देगी ।
यह जो पब्लिक है , सब बता देगी ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।