समाचार विश्लेषण/जिगर मा बड़ी आग है
-कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन पर सबकी नज़र है । सबकी सांसें और आंखें किसान आंदोलन पर लगी और आपकी हैं । मौसम का मिजाज बिगड़ा है और आंदोलनकारी किसान को टैंटों की शरण लेनी पड़ी, ऊपर से बारिश का पानी घुस गया । ऐसे में चार और किसान दम तोड़ गये । चालीस दिन में प्रतिदिन एक की औसत से एक किसान दम तोड़ चुके । कितनी निर्मम है सरकार । दिल्ली के पास बैठे किसान देखे नहीं जाते और पश्चिमी बंगाल के चुनाव की रणनीति तय की जाती है ।राजस्थान की सरकार पलटने की साजिश रची जा रही है । वैक्सीन की खुशी मनाई जाती है और सारा गोदी मीडिया किसानों के दुख दर्द की बात न कर वैक्सीन पर खुशी मना रहा है । कितनी शर्म की बात है । शर्म ही तो नहीं आती । कहां से कहां गिर गया मीडिया ? कहां तक और गिरना बाकी है ?
बातचीत की उम्मीद है और बातचीत से क्या कोई उम्मीद लगाई जा सकती है ? किसानों के बीच जो नहीं पहुंचे उनकी आलोचना भी हो रही है । पंजाबी के गायकों में हंसराज हंस और गुरदास मान पंजाबियो के गुस्से के शिकार हो रहे हैं और उन पर कड़ी टिप्पणियाँ की जा रही हैं । क्या सोनू सूद को इनकी तकलीफ नज़र नहीं आती ? कोरोना के दिनों में जो किया उसके लिए सलाम सोनू को लेकिन किसानों के लिए पीछे क्यों हट रहे हो ? नाना पाटेकर ने महाराष्ट्र के किसानों के लिए बहुत कुछ किया , अफ राष्ट्र के किसानों की हालत नहीं देख रहे? देखिए नाना पाटेकर ।
एक फिल्मी गाना है-जिगर मा बड़ी आग है । किसानों के आंदोलन पर यही कहने को जी चाहता है कि इनके जिगर मा बड़ी आग है । कितना कुछ सह कर भी फिर नहीं मान रहे । घर बार और जान सब लुटा रहे हैं पर पीछे कदम नही रख रहे । धन्य हो । सच जिगर मा बड़ी आग है । यह आग जलती रहे , यही दुआ ।