समाचार विश्लेषण /यह नौटंकी है तो नौटंकी ही सही
-कमलेश भारतीय
कल हाथरस में प्रियंका गांधी ने मनीषा बाल्मीकि की मां को गले लगा कर सांत्वना दी तो गोदी मीडिया ने इसे नौटंकी करार देने में देर नहीं लगाई । पहले दिन तो हाथरस जाने नहीं दिया । राहुल की धक्का देकर गिरा दिया । अपनी जीप में बिठाकर वापस लौटा दिया । फिर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने ठान लिया कि हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलना ही है , चाहे कुछ हो जाये । पैंतीस सांसदों के साथ काफिला निकला । लाठीचार्ज हुआ । प्रियंका खुद गाड़ी से नीकल कार्यकर्त्ताओं को बचाने लगी । गनीमत रही कि भूल से प्रियंका के कोई लाठी नहीं लगी । आखिरकार पांच लोगों को जाने की अनुमति दी गयी । पुलिस इतनी कि जैसे हाथरस में कोई छावनी बना दी गयी हो । भाई बहन पहुंचे पीड़ित परिवार से मिलने । प्रियंका मनीषा की मां से गले लग कर मिली और सांत्वना दी । मुट्ठी में चुपचाप चैक थमा दिया । आंसू एकमेक हुए और गंगा बह निकली । इसे गोदी मीडिया ने नौटंकी कहने में देर नहीं लगाई । सियासी ज़मीन तलाशने का मुद्दा भी बना दिया । कोई रंग दे दो सहानुभूति को । कोई पीड़ित परिवार को दुख व्यक्त करने नहीं जा सकता? विपक्ष को हक नहीं? किसलिए रोका एक दिन पहले ? परिवार ने डी एम की हटाये जाने की मांग की । परिवार ने पुलिस द्वारा छाती पर लात मारने की बात की पर किसी ने भी सीबीआई की जांच की मांग नहीं की । फिर योगी जी इतनी जल्दी सीबीआई की जांच कैसे मांग ली ? परिवार ने चैक की राशि नहीं बताई पर कहा कि हमे मदद की जरूरत है , चाहे आप दे दो । हमें न्यायिक जांच चाहिए , सीबीआई जांच नहीं । हमें न्याय चाहिए यह बंधन नहीं । शहीद भगत सिंह के साथी कहते थे कि हम पागल है तो पागल ही अच्छे हैं । वही बात प्रियंका की नौटंकी पर कही जा सकती है कि यदि यह नौटंकी है तो नौटंकी ही अच्छी है । मंत्री स्मृति ईरानी निर्भया कांड पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चूड़ियां भेज रही थीं । आज कहां हैं ? कितनी महिला सांसद हैं , सब चुप क्यों हैं ? क्या रेप कांड का विरोध पार्टी के आधार पर होगा ? महिला सांसदों को जाना चाहिए । जो भी हो प्रियंका और राहुल ने हाथरस से एक नयी शुरूआत की है । कांग्रेस को संजीवनी मिली है । इससे विरोधी भी इंकार नहीं कर सकते ।