यदि पूजा खेडकर जैसी आईएएस रहती तो क्या इमेज बचती ? 

यदि पूजा खेडकर जैसी आईएएस रहती तो क्या इमेज बचती ? 

-*कमलेश भारतीय
किसी ट्रेनी आईएएस अधिकारी को यूपीएससी ने पहली बार बर्खास्त किया । आयोग ने सन् 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस पूजा हेडकर की उम्मीदवारी रद्द करते हुए भविष्य में यूपीएससी की किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी । पूजा को सीएसई2022 के नियमों के उल्लंघन‌ करने की दोषी पाया गया है । पूजा ने धोखाधड़ी से तय सीमा से ज्यादा बार परीक्षा दी । उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था । आयोग ने सन् 2009 से 2023 तक पंद्रह हज़ार से ज्यादा उम्मीदवारों के रिकॉर्ड की जांच की, पहली बार ऐसा मामला सामने आया, जिसमें फर्जीवाड़ा के निर्धारित से ज्यादा अटेम्प्ट सामने आये । 
असल में पूजा हडकर दिव्यांग श्रेणी से आईएएस बनीं । पुणे कलक्ट्रेट में वे तीन जून से इक्कीस जून, महज अठारह दिन ट्रेनी रहीं लेकिन इन अठारह दिनों में पूजा ने ऐसी हेकड़ी दिखाई कि यूपीएससी को पहली बार इतना सख्त फैसला लेना पड़ा । पूजा ने ज्वाइनिंग के बाद रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर से अलग केबिन, कार, आवास और सुरक्षा की मांग की जबकि ये सुविधायें ट्रेनी अधिकारियों को नहीं मिलती हैं । यही नहीं पूजा ने‌‌ दूसरे अधिकारी के केबिन के बाहर अपनी नेम प्लेट लगवा ली और उसके रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पिता ने अधिकारियों को धमकाया।  पूजा ने दस्तावेजों में गड़बड़ी कर ग्यारह बार यूपीएससी की परीक्षा दी जबकि वे सिर्फ नौ बार ही परीक्षा दे सकती थी । यही नहीं पिता की सम्पत्ति 40 करोड़ रुपये से ज्यादा होने के बावजूद पूजा खेडकर ने क्रीमिलेयर ओबीसी आरक्षण का फायदा उठाया और दिव्यांगता प्रमाणपत्र में भी गडबड़ी सामने आई हैं। 
अभी तो पूजा हेडकर मात्र अठारह दिन में ही इतना महाभारत दिखा गयीं, आप सोचिये यदि ये अपनी ट्रेनिंग पूरी कर पूरी अधिकारी बन जातीं तो इनके कैसे कैसे ठाठ और रौब दाब के किस्से सामने आते। कैसे कैसे धोखे कर आईएएस बनीं और ट्रेनिंग में ही तेवर ऐसे कि तौबा! तौबा !! पूजा यह बात भूल ही गयी कि अधिकारी वही, वे सेविका हैं। प्रशासन को साफ सुथरा बनाना और आमजन को सेवाये देनी हैं । यह संयोग ही हैं कि हिसार में पत्रकारिता करते हुए कम से कम तीन महिला आईएएस अधिकारियों को निकट से देखने, उनकी कार्यशैली को समझने का करीब से अवसर मिला । पहली रहीं दीप्ति उमाशंकर, जिन्होंने बालसमंद के कुपोषण के शिकार एक मासूम बच्चे को बचाया और पहले अस्पताल में रखवाया और बाद में कैमरी के बालाश्रम को सौंपा। इसके अतिरिक्त वे प्रतिदिन सचिवालय के अपने कमेटी रूम में आमजन की तकलीफों की सुनवाई करती़ं। दूसरी आशिमा बराड़, जो आजकल हरियाणा मुख्यमंत्री प्रकोष्ठ में तैनात हैं, वे ट्रेनी एसडीएम के तौर पर हिसार में तैनात थीं  और बहुत सराहनीय कार्यकाल रहा ! तीसरी डाॅ प्रियंका सोनी, जिन्होंने कोविड काल में लगातार दिन रात काम किया और हर तरह से आमजन की समस्याओं को दूर करने में जुटी रहतीं । सोचता हूँ कि पूजा खेडकर आम जनता की सेवा करने का प्रशिक्षण लेने आई थीं या धमकाने, डराने और हेकड़ी दिखाने का? यदि ऐसे आईएएस अधिकारी होंगे तो फिर इस देश का यारो क्या होगा ? बहुत सही फैसला आयोग का। 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।