कंगना, किसान और हंगामा
-*कमलेश भारतीय
यदि मैं गलत नहीं तो मंडी (हिमाचल) से भाजपा सांसद व फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत का किसानों के साथ पुराना नाता है और इसी के चलते हंगामा होता रहता है या कर लेती है ये कंगना। सांसद बनते ही चंडीगढ़ से दिल्ली शपथ ग्रहण लेने जाते समय सुरक्षाकर्मी कुलविंदर कौर के साथ जो हंगामा हुआ, वह देश भर को खुद ही वीडियो वायरल कर दिखा दिया। उस सुरक्षाकर्मी को 'आतंकवादी' कहने से ज़रा भी संकोच नहीं किया। कुलविंदर को दुख और गुस्सा इस बात का था कि किसान आंदोलन के दौरान कंगना ने ट्वीट कर धरने पर बैठी महिलाओं पर भद्दा इल्ज़ाम लगाया था जबकि उन महिलाओं में कुलविंदर के परिवार से भी महिलाएं शामिल थीं तो हंगामा मचने पर कंगना ने ट्वीट हटा दिया था लेकिन अब फिर वही बात बड़े ज़ोर शोर से कह रही हैं ये नयी नवेली सांसद महोदया। कंगना ने एक बार फिर राख में दबी चिंगारी को हवा देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है और किसान संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। किसान मोर्चे के दर्शन पाल का कहना है कि कंगना ने ऐसी बात कह कर किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। कंगना, अब सांसद हैं, उन्हें जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। दर्शन पाल ने कहा कि आंदोलन इसलिए है क्योंकि सरकार किसानों को खत्म करने के कानून ला रही हैं। पंजाब से कांग्रेस नेता डॉ राजकुमार वेरका ने मांग की कि कंगना पर एनएसए लगाकर डिब्रूगढ़ की जेल में भेजना चाहिए जबकि आम आदमी पार्टी के नेता प्रो बुध राम का कहना है कि भाजपा को कंगना पर कार्रवाई करनी चाहिए। उनके बयान के पीछे भाजपा पूरी तरह खड़ी दिखती है तभी तो कोई कारवाई नहीं की जा रही। सिख समाज की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी कहा कि कंगना ने इमरजेंसी फिल्म के जरिये सिखों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने पर केस दर्ज होना चाहिए। इमरजेंसी के ट्रेलर में सिखों को आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। हर पगड़ीधारी सिख आतंकवादी कैसे? कंगना की आंखों पर कोई ऐसा चश्मा चढ़ा हुआ है, जो सिखों को आतंकवादी ही देखता है, उनकी देश के लिए की गयी कुर्बानियों को नहीं देखता और न ही दिखाना चाहता है। पंजाब व हरियाणा का किसान अन्नदाता है, सबसे ज्यादा अनाज इन्हीं राज्यों में होता है और जब जब इन पर सरकारों ने अन्याय किया तब तब इन किसानों ने 'पगड़ी संभाल ओ जट्टा' आंदोलन चलाया, अंग्रेजों के राज में भी किसानों ने विरोध किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी तीन कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर किया। यदि किसान आंदोलन में रेप जैसे कांड हो रहे थे तो मुम्बई क्यों बैठी रहीं कंगना? दिल्ली बॉर्डर पर आकर इज्जत बचाई होती ? बयानवीर बनने से कुछ नहीं होता! यदि किसान आंदोलन में ऐसी वारदाते़ं हो रही थी तो सरकार ने कृषि कानून वापस क्यों लिए? इन रेपिस्ट्स पर कार्रवाई करनी चाहिए थी !
सांसद कंगना सचमुच सांसद बन चुकी हैं आप और यह कोई फिल्मी दृश्य शूट करने की लोकेशन नहीं बल्कि पवित्र संसद भवन है, इसकी गरिमा बनाये रखने का जिम्मा सभी सांसदों का है । आप पर भी है । ज़रा सुन लो :
ले मशाले चल पड़े हैं
लोग मेरे गाँव के...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।