समाचार विश्लेषण/कपिल सिब्बल : यों ही कोई बेवफा नहीं होता
-*कमलेश भारतीय
आखिर जी 23 के एक अगुआ व पूर्व केंदीय मंत्री , देश के बड़े वकीलों में से एक कपिल सिब्बल ने इकतीस साल बाद कांग्रेस को अलविदा कह दी । वे कह रहे हैं कि सोलह मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था लेकिन देखा जाये जब वे चिट्ठी बम लिख रहे थे कांग्रेस हाईकमान के नाम , मन से तो इस्तीफा तभी दे दिया था । क्या कोई इस स्तर पर विरोध के लिए उतर सकता है ? कपिल सिब्बल उतरे और इसलिए उतरे कि वे सब जमा जोड़ , नफा नुकसान और अपना भविष्य अच्छी तरह देख चुके थे । कांग्रेस का सन् 2024 में आ जाने का भरोसा भी नही जी 23 के सदस्यों को । इसलिए अब यहां बस राज्यसभा टिकट ही बच रही थी , वह भी मिलने का कोई विश्वास नहीं था । अच्छे दिन कांग्रेस में बीत चुके थे । मंत्री बनने के मजे ले चुके थे । अब कांग्रेस से कोई उम्मीद रह ही नहीं गयी थी । फिर क्यों न अलग राह पकड़ ली जाये ।
आजम खान की वकालत की और एक अच्छे वकील की तरह उसकी जमानत करवाने में सफल रहे । अखिलेश ने कहा कि हम आपकी फीस नहीं दे सकते । चतुर वकील सिब्बल ने कहा होगा कि फीस कौन मांगता है भाई । बस । देनी है तो राज्यसभा की टिकट दे दो । इसी में गुजारा कर लूंगा । और अखिलेश को भी यह सौदा घाटे का नहीं लगा । अब भैया राजनीति में केस तो चलते ही रहते हैं तो एक पक्का वकील मिल गया और एकसाथ ही भविष्य के केसों की फीस लगे हाथों चुका दी ।
कपिल सिब्बल कह रहे हैं कि कांग्रेस से इकतीस साल का रिश्ता तोड़ना कोई आसान तो नहीं था लेकिन तोड़ा । जी 23 समूह का उद्देश्य भी पूरा किया यानी कांग्रेस को कमजोर करते जाना । पहले सुष्मिता देव गयीं जो तृणमूल क्रांग्रेस से राज्यसभा में गयीं । फिर एक्टर शत्रुघ्न गये और सांसद बने तृणमूल कांग्रेस से । कितने लोग जा रहे हैं मौका देखकर , अवसर मिलते ही हाथ छुड़ा कर भाग निकलते हैं । सिंधिया ने तो पूरी कांग्रेस सरकार ही गिरवा दी थी मध्य प्रदेश में । राजस्थान में अशोक गहलोत किसी तरह सरकार बचा गये नहीं तो सचिन पायलट ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी । कांग्रेस से पलायन जारी है । लगातार । चिंतन मंथन शिविर के बाद सुनील जाखड़ गये भाजपा में । यह सब क्या है रहा है ? क्यों हाथ छुड़ाकर भाग रहे है लोग कांग्रेस का ? सिर्फ हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सफल रहे आठ आठ लोगों की कांग्रेस में घर वापसी करवाने में । जिन लोगों को शैलजा ने प्रदेश अध्यक्ष रहते समय कांग्रेस से निष्कासित कर दिया था , उन्हें मना कर वापिस पार्टी में लाने में सफल रहे । क्या अन्य राज्यों में ऐसा कोई कर पाया है ? गुजरात में हार्दिक पटेल हाथ छोड़कर भाग निकले । एक अकेले सिब्बल को क्या दोष देना ? होश करे कांग्रेस हाईकमान । नहीं तो अभी सन् 2024 तक और विकेट भी गिरते जायेंगे ।
बस इतना ही कह सकते हैं :
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं ही कोई बेवफा नहीं होता ....
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।