केजरीवाल : कहां से कहां तक आ गये
-*कमलेश भारतीय
मुझे वह अरविंद केजरीवाल याद है जो हिसार अपने पुराने सी ए वी स्कूल अपनी पत्नी सुनीता के साथ आया था । उन दिनों अरविंद केजरीवाल को मैग्सेसे अवार्ड मिला था, सूचना का अधिकार पर । एक साधारण सा, सपनीली आंखों वाला युवा ! पांवों में हवाई चप्पल और उतनी ही साधारण सुनीता ! जबकि दोनों बड़ी पोस्ट्स पर थे । यह हिसार ही था, जहां अरविंद केजरीवाल ने डीएन काॅलेज में पढ़ाई की और यह हिसार ही था, जहां केजरीवाल के पिता गोबिंद केजरीवाल जिंदल कंपनी में काम करते थे और जिंदल कॉलोनी में ही सुनीता ब्याह के बाद आई थी । इतने सपनीले युवक का साथ प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे के साथ हो गया और इंडिया अगेंस्ट करप्शन का ऐसा आंदोलन चलाया कि कांग्रेस सरकार की चूलें हिल गयीं । अन्ना के पीछे दुबके हुए अरविंद केजरीवाल हर दिन दिखाई देते । आंदोलन के लिए उमड़े जनसैलाब में न जाने कब अरविंद केजरीवाल के मन में राजनीति में आने का सपना पैदा कर दिया, खुद उन्हें भी पता नहीं चला । अन्ना हज़ारे ने रोका, समझाया लेकिन साफ सुथरी राजनीति देने का वादा कर राजनीति में कदम रख दिया । अन्ना ने कहा कि पोस्टर पर मेरी फोटो नही छापना और खुद केजरीवाल का ही कद इतना बढ़ गया कि उसी की फोटो और टोपी देश भर में चर्चा में आ गये । चंदा देने वालों की कतारें लग गयीं और बड़े बड़े पदों से लोगों ने इस्तीफे दे दिये। क्या जादू था ! दिल्ली से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर कांग्रेस की हैट्रिक के बाद चौका न लगने दिया । मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ कर जीतने का करिश्मा कर दिखाया । तब से कांग्रेस ही नहीं, भाजपा के पांव फिर दिल्ली की राजनीति में नहीं टिके । तीन तीन बार सरकार बनाई । मोहल्ला क्लिनिक और दिल्ली के स्कूलों को माॅडल बना वाहवाही लूटी । कुमार विश्वास, आशुतोष और योगेंद्र यादव जैसे और भी सपनीली आंखों वाले लोग केजरीवाल के साथ आ खड़े हुए पर समय के साथ निराश होकर केजरीवाल का साथ छोड़ गये । मोहभंग हो गया इनका । केजरीवाल की नीतियों से और आम राजनीतिक दल जैसे हथकंडों को अपनाने से ! दूरियां बढ़ती गयीं और केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षायें बढ़ती गयीं । कभी गोवा, कभी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कभी पंजाब तो कभी किसी राज्य में आप का चुनाव में उतरना आम सी बात हो गयी । हरियाणा में इसे वोट काटू पार्टी कहा जाने लगा । वैसे गोवा, उत्तराखंड में भी ऐसे ही आरोप लगे । फायदा भाजपा को मिला ।
अब जाकर विस्फोट हुआ जब ईडी ने मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार किसी को जेल भेजा । केजरीवाल स्वतंत्र भारत में पहले ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जो पद पर रहते जेल गये । अब वही कांग्रेस दिल्ली में महारैली कर केजरीवाल के ऊपर की गयी कार्यवाई का विरोध कर रही है । इसके बावजूद केजरीवाल को पंद्रह अप्रैल तक तिहाड़ जेल में रामायण व गीता पढ़कर समय बिताना होगा । ईडी का सबसे बड़ा आरोप है कि शराब नीति के पीछे के मास्टरमाइंड मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं और उस पैसे का उपयोग गोवा चुनाव में किया गया । अभी केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा । भाजपा प्रझर्शन कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग कर रही है। केजरीवाल सहित आप के चार नेता जेल में बंद हैं । यह एक ऐसी पहेली है कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन का आंदोलन चलाने वाले उत्साही लोग जेल में करप्शन के इल्जाम में ही भेजे गये । पत्नी सुनीता के माध्यम से केजरीवाल अपने भावुक संदेश भेज कर खुद को निर्दोष साबित करने में लगे हैं लेकिन आदालत से क्या फैसला आयेगा? इसका इंतज़ार है । हां, आप नेताओं का आरोप है कि आप और केजरीवाल को लोकसभा चुनाव से दूर रखने का षड्यंत्र रचा गया है । यह भी जवाब आ रहा है कि भ्रष्टाचार किया है तो जेल तो जाना होगा। अब कौन सही, कौन गलत, राम जाने !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।