किसी कि मुस्कुराहटों पे हो निसार, जीना इसी का नाम है: श्वेता मिश्रा

जीवन ने सब कुछ दिया अब मेरी बारी है लौटाने की । यह कहना है मिसेज इंडिया वर्ल्ड श्वेता मिश्रा का , जो आजकल शिमला के केनरा बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं । एक बहुत ही गभींर लेखिका,समाज सेवी,मोटिवेशन स्पीकर,योग और साधना में रमे रहना, बहुआयामी है इनका व्यक्तित्व।

किसी कि मुस्कुराहटों पे हो निसार, जीना इसी का नाम है: श्वेता मिश्रा
श्वेता मिश्रा।

-कमलेश भारतीय 
जीवन ने सब कुछ दिया अब मेरी बारी है लौटाने की । यह कहना है मिसेज इंडिया वर्ल्ड श्वेता मिश्रा का , जो आजकल शिमला के केनरा बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं । एक बहुत ही गभींर लेखिका,समाज सेवी,मोटिवेशन स्पीकर,योग और साधना में रमे रहना, बहुआयामी है इनका व्यक्तित्व।

मूल रूप से हिमाचल के ही पांवटा साहब की निवासी श्वेता मिश्रा की पढ़ाई भी वहीं हुई । गुरु गोविंद सिंह काॅलेज , पांवटा साहिब से साइंस ग्रेजुएशन के बाद देहरादून के डीटीआई से एमबीए के बाद नेट क्लियर और अब पीएचडी भी होकर डाॅ श्वेता मिश्रा बनने ही वाली हैं। आप एक शंतरज कि मझीं हुई खिलाड़ी भी हैं।

-एक बड़े सरकारी पद पर रह कर इतना सब करने का वक़्त और जूनून कहाँ से मिलता है?
एक ही जीवन है,अपनी अंदर की आवाज को सुनना । खुद को कहीं भी बाँधना नहीं चाहिए।
जो भी अंदर आवाज आए वो कर लेना चाहिए।

-यह सौंदर्य प्रतियोगिता का शौक कब से ?
सौंदर्य प्रतियोगिता का शौंक कभी नहीं था,बस ये मेरे साथ घटती चली गई। अपने आप कालेज से लेकर यूनिवर्सिटी तक लोगों का स्नेह मिलता रहा(जिसकी यूँ तो सबसे बडी वजह कविताएँ रही)
आपकी असली सुंदरता आपका व्यक्तित्व है।आप सुंदर होते नहीं हो,सुंदर आपको आपसे प्रेम करने वाले लोग बनाते हैं ।

-माता पिता का क्या रोल रहा आपकी यात्रा में:
-माता पिता की वजह से ही हम हैं।उनके संस्कार ही उम्रभर साथ जलते हैं।
शादी चूँकि जल्दी हुई तो मेरी यात्रा में मेरे बेटे,पति और सास ससुर का ।
 मेरा परिवार और मेरी सास डाॅ मृदुला और ससुर दिनेश मिश्रा। इन्हीं के दिए बेहतरीन संस्कार हैं कि पति हर क़दम पर साथ देते रहे।

-परिवार के बारे में ?
-पति गौरव मिश्रा रेलवे कांट्रेक्टटर हैं । मुहब्बत के शहर आगरा में ससुराल है । 
एक प्यारा बेटा है आठ साल का -काव्य,जिन्हें खुद एक्टिंग और स्टोरी टैलिंग का शौक है।
16 साल कि नौकरी के चलते अब तक सात राज्यों में नौकरी कर चुकी हूँ।

-कभी अभिनय में में भाग लिया ?
-थियेटर । बहुत मन है अब भी थियेटर करूं । अमृता प्रीतम के जीवन पर नाटक किया था जिसमें अमृता का किरदार मैनें ही निभाया ।

-कौन सी एक्ट्रेस प्रिय है ?
-मधुबाला ।

-पहली कविता कब लिखी ?
-सातवीं कक्षा में । फिर समझ आने लगी तो थोड़ी परिपक्व कवितायें लिखीं।दरअसल कविताएँ घटती हैं आप लिखते नहीं हो।

-कौन सा कवि पसंदीदा है ?
-केदारनाथ सिंह ।

-और क्या क्या गतिविधियां हैं आपकी ?
-विभिन्न आयामों पर मोटिवेशन लैक्चर देती हूं।हिमाचल में सबसे प्रतिष्ठित HIPA में मोटीवेटर के तौर पर जाकर हिमाचल के सभी जिलों से ट्रेनिंग को आए अधिकारियों से रूबरू होती हूँ।ध्यान और योग करती हूँ और साथ ही साहित्य पठन पाठन।

-साहित्य के बारे में क्या कहेगीं ?
- साहित्य को हम नहीं चुनते बल्कि साहित्य हमको खुद चुनता है । जीवन को साहित्य से अलग कर नहीं देख सकती ।

-आगे लक्ष्य ? 
-“मजिंल का पता मत पूछिए,अभी तो बस चलने का इरादा किया है,मुझे दुनिया से क्या मतलब मैंने तो खुद से वादा किया है”
लक्ष्य नहीं कहूँगी हाँ सपना जरूर है।जैसे क़र्ज़ होता है मातृभूमि का जो आप कभी नहीं चुका सकते वही चुकाने कि एक गिलहरी कोशिश है ।

अपनी लिखी कोई कविता कहना चाहेंगी:

उपेक्षा

उपेक्षित पेड़ सूख जाते हैं,
उपेक्षित नदियाँ कहीं बीच में ही खो जाती हैं,
उपेक्षित ज़मीनों में भर जाती हैं दुख की दरारें,
उपेक्षित घरों में घर कर जाती हैं भटकती आत्माएँ,
उपेक्षित जीव पहले भूख त्यागतें हैं फिर देह,
उपेक्षित बच्चे रहने लगते हैं उदास और बीमार,
......
प्रेम का होना व नहीं होना इन्हीं दो में बँटा है जीवन,
प्रेम का ना होना दुखदायी है ! 


हमारी शुभकामनाएं श्वेता मिश्रा जी को ।