किताबें 

किताबें 
कमलेश भारतीय।

मुझे प्रेमिकाओं जैसी लगती है 
जिन दिनों बहुत उदास होता हूं 
ये मेरे पास आती हैं 
और मुझे गले से लगा लेती हैं 
या मैं कभी
 किसी किताब के याद आने पर   
ढूंढता हूं बैचैन होकर 
किताबों के बीच 
उस प्यारी किताब को 
किसी खोई हुई प्रेमिका की तरह 
जब वो किताब मिल जाती है 
मैं उसे छाती से लगा लेता हूं 
डूब जाता हूं 
उसके प्यार में 
न जाने कितनी ऐसी किताबें 
याद आती रहती हैं 
और मैं दीवानों की तरह 
किताबों में खोजता रहता हूं 
कितना सुकून 
कितनी शांति 
जैसे किसी संन्यासी को 
मिल जाए परम रहस्य । 
सच 
किताबें 
मुझे जीने की राह 
दिखाती रहती हैं 
और नये
नये मंत्र कान में फूंकती रहती हैं ,,, 
-कमलेश भारतीय