समाचार विश्लेषण/कुलदीप बिश्नोई: कितनी नावों में कितनी बार?
-*कमलेश भारतीय
प्रसिद्ध कवि अज्ञेय की एक काव्य कृति का नाम पता नहीं क्यों कुलदीप बिश्नोई की राजनीतिक उलटफेर पर याद आ गया -कितनी नावों में कितनी बार ...कितने दलों में कितनी बार आते जाते रहोगे ? खूब चर्चा में हैं राज्यसभा चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर वोट देकर बड़ा उलटफेर करने वाले कुलदीप बिश्नोई । कार्तिकेय शर्मा को विजयश्री दिलवा दी और कांग्रेस के अजय माकन हार कर दिल्ली रिटर्न टिकट लौट गये । अभी तक मंथन जारी है कांग्रेस में कि दूसरा विधायक कौन था जिसकी वोट रद्द हुई । मंथन चल रहा है । विवेक बंसल अपने मंथन के बाद काग्रेस हाईकमान को रिपोर्ट दे चुके हैं । कांग्रेस ने अंतरात्मा की आवाज के तुरंत बाद कुलदीप बिश्नोई को सभी पदों से हटा दिया था लेकिन जो पद वे चाहते थे , वह नहीं मिला जिससे रिश्ता नाता टूट गया कांग्रेस से । अब सुना है अंतरात्मा फिर फड़फड़ाने लगी है और यह राष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालकर ही शांत होगी और उसके बाद ही कुलदीप बिश्नोई भाजपा की नाव में सवार होंगे । एक बार तो कांग्रेस में लौट चुके और तीन तीन बार भाजपा , बसपा और विनोद शर्मा की पार्टियों के साथ नावों में सवार हो चुके लेकिन अभी तक सही मंजिल पर नहीं पहुंच पाये या सही नाव नहीं चुनाव पाये , इसलिए नावें बदलने का सिलसिला जारी है । नाव नयी तो नहीं , वही भाजपा है । इसीलिए यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस की नाव से उतर जाने से पार्टी को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। हां , इनके भाजपा में जाने से जरूर फर्क पड़ने के अनुमान लगाये जा रहे हैं । नफे नुकसान समझाये जा रहे हैं और इनके जनाधार की भी जांच पड़ताल की जा रही है । कुछ नेता नाराज हो रहे हैं इनकी भाजपा में संभावित एंट्री से । इस तरह हिसाब लगाया जा रहा है कि कुलदीप बिश्नोई के जाने से नाव किसकी हल्की होगी और किस नाव पर भार बढ़ेगा?
दूसरी ओर आदमपुर में उपचुनाव की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस ने प्रत्याशियों पर मंथन करना शुरू कर दिया है और सबसे आगे नाम चल रहा है -पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश का क्योंकि वे पहले भी आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई को कड़ी टक्कर दे चुके हैं । बेशक वे विधानसभा चुनाव में वे हार गये थे पर बहुत कम अंतर से । इसी प्रकार पूर्व विधायक कुलबीर बेनीवाल का भी जिक्र चल निकला है । वे भी एक समय चौ भजनलाल के बेटे जैसे थे लेकिन कुलदीप बिश्नोई से ज्यादा नहीं निभी । आदमपुर उपचुनाव से कुलदीप बिश्नोई चाहे खुद मैदान में उतरें चाहे बेटे भव्य बिश्नोई को उतारें , एक बार फिर इनकी लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा होगी, यह निश्चित है । भाजपा के अंदर से ही विरोध करने वाले क्या गुल खिलायेंगे ? यह भी बहुत बड़ा रहस्य रहेगा । बाकी समंदर हैं तो नाव भी लहरों से टकराये बिना न रहेगी । नाव , समंदर और संघर्ष फिर से नया होगा । नाव किस किनारे लगेगी, यह पूरा हरियाणा इंतजार कर रहा है । हां , अपने साथ अपने बेटे भव्य की नावें भी बदलते जा रहे हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।