लघुकथा/कुर्सी /कमलेश भारतीय

-अरी कुर्सी ? किसका इंतजार कर रही है ?
-किसी बिकाऊ नेता का ,,,
-एक कुर्सी से भला क्या होगा ?
-कोई बात नहीं । मैं अपनी बहनों को बुला लूंगी ।
-लोकतंत्र में किसकी जय ?
-जो बिकाऊ है ।
और फिर मैं और कुर्सी खूब जोर से हंसे या रोये ,,,,
पता नहीं ।