ग़ज़ल / अश्विनी जेतली
नज़र उनसे चुराऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
उन्हें मैं भूल जाऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
जो दिल का हाल है, वो जान जाएंगे, जब आएंगे
बताने खुद मैं जाऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
मुझे मालूम है ग़म का फसाना, सुन के रो देंगे
उन्हें फिर भी सुनाऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
चुराया किसने दिल का चैन तेरा, पूछा यारों ने
चोर का नाम बताऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
वो शख़्स जिसने सारी उम्र, कुफ़र ढोया है कंधों पर
उसे सच्चा बताऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा
जो अपने हित की ख़ातिर दूसरों के हक को छीने है
उसे साथी बनाऊँ, उफ्फ नामुमकिन, है मेरी तौबा