अश्विनी जेतली की ताज़ा तरीन `ग़ज़ल'
पेशे से पत्रकार अश्विनी जेतली की रचनाएं अक्सर चर्चाओं में रहती हैं
आर्ट वर्क- गरिमा धीमान।
दिल जब भी कोई ख़्वाब सजाने बैठ गया
ग़म झट से आकर सिरहाने बैठ गया
लाख मनाया फिर भी यह दिल माना ना
संगदिल के संग प्रीत लगाने बैठ गया
सजदा करने दर पे गया, तो बोले वो
यहां क्यूँ आकर तू दीवाने बैठ गया
उसकी ज़िद थी राजा को फ़रियाद सुनाने की
भैंस के आगे बीन बजाने बैठ गया
ज़िक्र ज़माने से छेड़ा जब ज़ख्मों का
वो ख़ुद अपना दर्द सुनाने बैठ गया।