"युद्ध अभियानों में सैन्य नेतृत्व की भूमिका" विषयक व्याख्यान आयोजित

रोहतक, गिरीश सैनी। भारत का सैन्य इतिहास गौरवशाली है। भारतीय सेना देश की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। ये उद्गार ब्रिगेडियर हरवीर सिंह कुंडू ने बुधवार को एमडीयू के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग में थल सेना दिवस पर "युद्ध अभियानों में सैन्य नेतृत्व की भूमिका" विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए।

प्रारंभ में विभागाध्यक्ष प्रो. सेवा सिंह दहिया ने स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि थल सेना के प्रथम कमांडर के.एम. करियप्पा की याद में हर साल 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाया जाता है। ब्रिगेडियर हरवीर सिंह कुंडू ने विशेष व्याख्यान में वर्तमान समय में भारत की सुरक्षा चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के समक्ष अनेक आंतरिक और बाह्य सुरक्षा चुनौतियां हैं। इस समय नक्सलवाद, आतंकवाद जैसी समस्याएं भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने चुनौतियां पैदा कर रही है। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ बढ़ रहे सीमा विवाद, भू रणनीतिक गतिविधियों सहित अनेक विवादों के बारे में बढ़ रही थल सेना की जरूरत के बारे में भी बताया। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपने खुद के अनुभव साझा करते हुए सेना में रहते हुए अनेक ऑपरेशनों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। व्याख्यान के दौरान उन्होंने डॉक्यूमेंट्री दिखाई और आज के समय में सेना में प्रयोग हो रहे आधुनिक हथियारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बताया और विद्यार्थियों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।

 

व्याख्यान के अंत में मुख्य वक्ता ने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए और सेना से संबंधित जानकारी दी। मंच संचालन विद्यार्थी तनु शर्मा ने एवं सौरव ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. सेवा सिंह दहिया, डॉ. प्रताप सिंह, डॉ. प्रोमिला रांगी, आई.जी. के.डी. श्योराण, कर्नल भास्कर गुप्ता, डॉ. अमित हुड्डा, डॉ. अरुणा सांगवान, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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