हिंदी-विभाग में मुक्तिबोध और उनका संघर्ष विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया

हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा जयंती विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत “मुक्तिबोध और उनका संघर्ष” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० पंकज श्रीवास्तव (अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया।

हिंदी-विभाग में मुक्तिबोध और उनका संघर्ष विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया

चण्डीगढ़, 13 नबम्बर, 2024: हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा जयंती विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत “मुक्तिबोध और उनका संघर्ष” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० पंकज श्रीवास्तव (अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया।
 
डॉ० पंकज श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि मुक्तिबोध की कविताओं में ज्ञान के साथ संवेदना का अद्भुत सामंजस्य है। वे व्यक्ति को कर्तव्य की जगह कार्य से जुड़ने की बात करते हैं। इसीलिए वे हर तरह के इंस्टीट्यूशन को तोड़ने की बात करते हैं। मुक्तिबोध कविता को शौकिया तौर पर नहीं लिखते थे बल्कि वेकविता से इतने गहरे स्तर पर जुड़े हुए थे कि कविता लिखकर, वे अकेले बैठकर ऊंचे स्वर में उसे गाया भी करते थे। मुक्तिबोध पर गंभीरता से अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि वह अनुभूति के कवि हैं। इन्होंने अनेक पौराणिक पात्रों को प्रतीक बनाकर आधुनिक समय में अपनी कविताओं को प्रासंगिक बनाया। उनके अध्ययन का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है और इसी का परिणाम है कि उनकी रचनाओं में अनेक विज्ञान, दर्शनशास्त्र, साहित्य आदि की शब्दावली देखने को मिलती है। मुक्तिबोध अनुभूत यथार्थ की अभिव्यक्ति के प्रति प्रतिबद्धता के कवि हैं। इसके पश्चात् उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के विषयानुकूल उत्तर दिए।
 
कार्यक्रम की शुरुआत में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने अतिथि महोदय का भेंट देकर औपचारिक स्वागत किया। उन्होंने कहा की मुक्तिबोध, पाश और दुष्यंत कुमार जैसे लेखकों ने समाज के यथार्थ को साहित्य का आधार बनाया है। इन कवियों ने न केवल साहित्य रचा है बल्कि आमजन के अधिकारों की भी बात की है। हमारे पाठ्यक्रम में भी मुक्तिबोध की विश्वविख्यात कविता ‘अंधेरे में’ को पढ़ाया जाता है जो निराशा से भरे एक व्यक्ति का वर्णन भले ही लगता है लेकिन वह हमें प्रकाश की दिशा में कदम बढ़ाने की ओर प्रेरित भी करती है।
 
शोधार्थियों में राहुल रॉय, ममता कालरा, पिंकी तथा विद्यार्थी हिमांशु (प्रथम सत्र), ने मुक्तिबोध के जीवन, कविताओं और विचारधारा से संबंधित प्रश्न, जिज्ञासा तथा टिप्पणी की। और अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ० पंकज श्रीवास्तव का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग से प्रो० सुधीर मेहरा, यू० बी० एस० विभाग से डॉ० कुलविंदर सिंह, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन शोधार्थी रेखा मौर्य ने किया।