हिंदी-विभाग में “संघर्ष और प्रेरणा की प्रतिमूर्तिः रमाबाई अंबेडकर” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
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चंडीगढ़, 7 फरवरी, 2025: आज दिनांक07फरवरी, 2025 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ की साहित्य परिषद द्वारा जयंती विशेष श्रृंख्ला के अंतर्गत “संघर्ष और प्रेरणा की प्रतिमूर्तिः रमाबाई अंबेडकर” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा-विभाग सेडॉ. प्रवीन कुमार,अंग्रेज़ी एवं सांस्कृतिक केन्द्र(विभाग)से डॉ. सुधीर मेहरा, इतिहास-विभाग से शोधार्थी श्री आनंद कुमार तथा हिंदी-विभाग से शोधार्थी श्रीमती रेखा मौर्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आरंभ विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार तथा संकाय सदस्य प्रो. गुरमीत सिंह द्वारा अतिथियों को भेंट देकर किया गया। विभागाध्यक्ष ने औपचारिक रूप से वक्ताओं, अतिथियों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों का स्वगात किया। सर्वप्रथम शोधार्थी श्रीमती रेखा मौर्य ने विषय आधारित वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंनेरमाबाई के जीवन से जुड़ी उल्लेखनीय घटनाओं के माध्यम से बताया कि किस प्रकार युगपुरुष डॉ. अंबेडकर की जीवन संगिनी,माता रमाबाई उनके संघर्ष में उनका सशक्त संबल बनी रहीं। इसके पश्चात् इतिहास-विभाग के शोधार्थी श्री आनंद कुमार ने माता रमाबाई का जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर को अम्बेडकर बनाने में रमाबाई की विशेष भूमिका रही। डॉ. सुधीर मेहरा ने कहा कि रमाबाई के विषय में पढ़ने का अवसर मिला तो उन्होंने पाया कि किस प्रकार महाराष्ट्र में महिला-गीतों नेमाता रमाबाई को जीवित रखा है।इनमें माता रमाबाई त्याग की प्रतिमूर्तिके रूप में ही नहीं बल्कि एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में उभरती हैं। वे स्वयंएक संघर्षशीलव्यक्तित्व थीं। मुख्य वक्ता डॉ. प्रवीन कुमार ने इस वक्तव्य के विषय की महत्ता की ओर ध्यान केन्द्रित करवाते हुए कहा कि माता रमाबाई पर आयोजित यह कार्यक्रम संभवतः प्रथम कार्यक्रम है। उन्होंने माता रमाबाई के पारिवारिक परिवेश पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से सभी को अवगत करवाया। डॉ. अम्बेडकर तथा रमाबाई के पत्राचार के विवरण के माध्यम से उन्होंने बाताया कि किस प्रकार संतानों की मृत्यु, आर्थिक, सामाजिक आदि कई चुनौतियों में रमाबाई उनकी प्रेरणा तथा ऊर्जा का स्त्रोत बनी रहीं।अंत में विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तथा अन्य वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। साथ ही, उपस्थित सभी अतिथियों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों का भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का उद्देश्य नए तथा आवश्यक विचारणीय संवादको मंच प्रदान करना है। कार्यक्रम में यू.बी.एस. से डॉ. कुलविंदर तथा समाजशास्त्र-विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद चौधरी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा मंच संचालक की भूमिका एम.ए. द्वीतीय वर्ष के विद्यार्थी पवन शर्मा ने निभाई।