समाचार विश्लेषण/हरक सिह रावत से सबक?
उत्तराखंड के नेता हरक सिंह रावत का जो हश्र हुआ वह दलबदल करने वाले नेताओं के लिए देश भर में किसी सबक से कम नहीं । हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की अच्छी भली चल रही सरकार को भाजपा में शामिल होकर गिरा दिया । आज जब विधानसभा चुनाव का वक्त आया तो भाजपा ने हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया ।
-*कमलेश भारतीय
उत्तराखंड के नेता हरक सिंह रावत का जो हश्र हुआ वह दलबदल करने वाले नेताओं के लिए देश भर में किसी सबक से कम नहीं । हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की अच्छी भली चल रही सरकार को भाजपा में शामिल होकर गिरा दिया । आज जब विधानसभा चुनाव का वक्त आया तो भाजपा ने हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया । अब हरक सिंह रावत कांग्रेस का द्वार खटखटा रहे हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उस द्वार के आगे अड़े खड़े हैं कि हाईकमान ये द्वार अब खोलिए इस दलबदल करने वाले नेता के लिए । यदि इसके लिए द्वार खोले तो यह उत्तराखंड की चुनी हुई सरकार गिराने का उपहार होगा जबकि इस हरक सिंह को दलबदल का सबक सिखाने की जरूरत है । अब कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर सबकी निगाहें हैं ।
हरियाणा में दलबदल करने वाले नेताओं को इनेलो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने सन् 1999 में सबक सिखाया था जब चौ बंसीलाल की सरकार गिराने में मदद करने वाले जींद के विधायक मांगे राम गूप्ता की टिकट काट दी थी । यह बहुत बड़ा सबक था दलबदलुओं के लिए । जो आज आपके नहीं , वे कल किसके साथ होंगे ? क्या खबर ।
इसी दलबदल की राजनीति ने लोकतंत्र की जैसे हत्या ही कर दी है । जहां देखो , जिसे देखो बिकने को तैयार मिलते हैं । सरकारें कब गिर जायें इन दलबदलुओं की वजह से कोई नहीं कह सकता । इस दलबदल की राजनीति ने लोकतंत्र बिकाऊ जैसी हालत कर दी है । मध्य प्रदेश में चलती कांग्रेस सरकार एक महाराजा सिंधिया अपने पद की लालसा में गिराने में पूरी ताकत लगा देता है जबकि कांग्रेस से क्या नहीं मिला ? उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद मंत्री पद के लिए कांग्रेस छोड़कर चला जाता है जबकि कांग्रेस से क्या नहीं मिला ? अब जब पार्टी संकट में तो ये भाजपा में चले गये । ऐसे ही अनेक पार्टियों के नेताओं के उदाहरण हैं । कोई पार्टी इस दलबदल के रोग से बची नहीं । पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह अब कांग्रेस को जी भर कर कोसने में लगे हैं । बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुढ्र जिस गठबंधन के साथ सत्ता में आए उसे तोड़कर भाजपा के सहयोग से फिर बदल गये पाला । सभी पार्टियों को इस रोग ने अपनी लपेट में ले लिया है । किसी पार्टी के पास इसका इलाज नहीं पर इलाज है कि अब हरक सिंह रावत को सबक सिखाया जाये और दोबारा कांग्रेस में शामिल न किया जाये । इससे अन्य नेताओं व पार्टियों को भी सबक मिलेगा और कोई हरक सिंह रावत नहीं बनना चाहेगा ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।