समाचार विश्लेषण/इसे लोकतंत्र ही रहने दें, भेडतंत्र न बनने दीजिए 

समाचार विश्लेषण/इसे लोकतंत्र ही रहने दें, भेडतंत्र न बनने दीजिए 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
पश्चिमी बंगाल के महामहिम राज्यपाल जगदीश धनखड़ राजभवन के सामने हुए भेड़ युक्त प्रदर्शन से बहुत नाराज बताये जा रहे हैं । यही नहीं उन्होंने कोलकाता पुलिस को पत्र  लिख कर इस प्रदर्शन के बारे में सफाई मांगी है । उन्होंने लिखा है कि राजभवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर कानून व्यवस्था की स्थिति काफी चिंताजनक है । इस तरह के प्रदर्शन तब होते है जब पुलिस की मौजूदगी होती है । राज्यपाल जगदीश धनखड़ ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते जब वे सोशल मीडिया का सहारा न लें।  इस बार भी ऐसा ही किया । अपनी पोस्ट को न केवल पश्चिमी बंगाल की पुलिस बल्कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी टैग किया है ताकि उनको भी कान हो जायें । सबसे दुखद बात यह कि कल महामहिम राज्यपाल जगदीश धनखड़ का जन्मदिन था । भला यह भी क्या तरीका ढूंढा जन्मदिन की बधाई देने का ? 

असल में महामहिम राज्यपाल ने तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्री व एक विधायक समेत चार पर अभियोजन चलाने की अनुमति दी थी जिस पर खफा कोलकाता नागरिक मंच के एक कार्यकर्त्ता ने भेड़ों के साथ प्रदर्शन किया । इसके बावजूद शुभेंदु अधिकारी को इसमें शामिल नहीं किया गया । जबकि कोलकाता नागरिक मंच का कहना है कि यह प्रदर्शन कोरोना की बिगड़ती स्थिति के विरोध में किया गया था ।

चाहे किसी भी कारण से भेड़ प्रदर्शन किया गया हो , यह लोकतांत्रिक तो नहीं कहा जा सकता । राष्ट्रपति और राज्यपाल के पदों की मान मर्यादा रखनी ही चाहिए । दूसरी ओर राज्यपाल को भी एक एक्टीविस्ट की तरह हर बात के लिए सोशल मीडिया के मंच पर नहीं आना चाहिए । आपकी भी कोई मर्यादा तो है ही । राज्यपाल को न किसी पार्टी कः कार्यकर्त्ता की तरह व्यवहार करना चाहिए । दुखद यह है कि ऐसे कभी रामलाल या कभी कोई और राज्यपाल रहा हो , उन्होंने पार्टी कार्यकर्त्ता की तरह व्यवहार किया और उन्हें कोई याद भी नहीं करता । एक राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी तो हैं जो किसान आंदोलन को ठीक से न निपटने के लिए केंद्र सरकार को घेरे में ले लेने से नहीं चूकते । राजस्थान के राज्यपाल ने भी पिछले वर्ष अपनी मर्यादा की परवाह नहीं की थी और विधायक राज्यपाल भवन तक प्रदर्शन करने पहुंच गये थे । पानी की बोतलें भिजवा कर शांत करने की कोशिश भी बेकार गयी थी । याद होगा कि राजस्थान के राज्यपाल सत्र बुलाने की मांग को टालते जा रहे थे । इस तरह के व्यवहार से राज्यपाल पद की गरिमा कम ही होती है लेकिन राज्यपाल भवन पर भेड़ों के साथ प्रदर्शन लोकतंत्र को ही शर्मिंदा करता है । कोई और तरीका ढूंढ लेते ।