समाचार विश्लेषण/गांधी परिवार से मुक्ति , कांग्रेस की संजीवनी?
क्या गांधी परिवार से मुक्ति ही कांग्रेस की संजीवनी साबित होगी ? यह मानना है हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार का ! वे कहते हैं कि मैं सोचता था कि कांग्रेस खत्म होने को है लेकिन जब से ये खबरें आने लगी हैं कि इस बार कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का होगा तब से एक आशा बनी है कि कांग्रेस अब बच जायेगी ।
-कमलेश भारतीय
क्या गांधी परिवार से मुक्ति ही कांग्रेस की संजीवनी साबित होगी ? यह मानना है हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार का ! वे कहते हैं कि मैं सोचता था कि कांग्रेस खत्म होने को है लेकिन जब से ये खबरें आने लगी हैं कि इस बार कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का होगा तब से एक आशा बनी है कि कांग्रेस अब बच जायेगी । काश ! कांग्रेस पार्टी इस फैसले पर अडिग रहे । दूसरी बात कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी कहते थे कि पार्टी से ऊपर उठ कर सोचो और देशहित में सोचो । यही भावना मेरी है जिसके चलते मैं यह कामना कर रहा हूं कि गांधी परिवार से बाहर कोई नेता इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष बने । इससे एक मजबूत प्रतिपक्ष बनने की संभावना बनेगी ।
दूसरी ओर कांग्रेसजन अभी तक राहुल गांधी की ओर आस भरी नजरों से देख रहे हैं और प्रस्ताव पारित कर रहे हैं कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष पद संभालें ! आपको याद होगा कि सन् 1990 के आसपास सोनिया गांधी को कांग्रेसजन मना कर लाये थे घर से ! अध्यक्ष बनने के लिए । तब से लगातार गांधी परिवार का ही दबदबा है और कांग्रेस की बागडोर इसी परिवार के हाथ में है । इसी बीच राहुल गांधी भी सर्वसम्मति से अध्यक्ष बने लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठजनों की राजनीति के चलते उनका मोहभंग हो गया और इस्तीफा दे दिया । बेशक उन्हें मनाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन वे तो टस से मस न हुए । आखिर सोनिया गांधी को ही कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया । खराब स्वास्थ्य के बावजूद वे कार्यकारी अध्यक्ष बनी रहीं लेकिन जी 23 समूह ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया । कभी चिट्ठी बम तो कभी ट्वीटर की जंग ! लेकिन सफलता नहीं मिली । आखिर कपिल सिब्बल , गुलाम नबी आज़ाद और अश्विनी कुमार ने कांग्रेस से इस्तीफे देकर अलग राहें चुन लीं । कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी इन्हीं दिनों भाजपा ज्वाइन की है । इस तरह जी 23 समूह असंतुष्ट कांग्रेसजनों का समूह माना गया । अब समूह के नेता ही छोड़कर चले गये । इनकी मांग भी मान ली गयी और अध्यक्ष पद पर चुनाव होने जा रहा है । यह खुशी की बात है और इससे भी ऊपर की खुशी कि खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं ! अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व शशि थरूर के बीच चुनाव संग्राम होने की चर्चायें हैं !
राहुल गांधी ने कहा फिर भी यदि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा । इसके छवि में अशोक गहलोत भी कहते हैं कि यह तो बिल्कुल स्पष्ट है कि एक राज्य का मुख्यमंत्री कैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रह सकता है ! इस तरह राजस्थान के नये मुख्यमंत्री की चर्चायें भी शुरू हो गयी हैं । क्या सचिन पायलट या पी सी जोशी ? यह अलग मुद्दा है । फिलहाल अध्यक्ष पद की चर्चायें हैं !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।