समाचार विश्लेषण/साहित्यिक यात्रायें बहुत जरूरी
-कमलेश भारतीय
महाराष्ट्र में पुस्तक संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए यात्रा की बहुत चर्चा है । पुस्तकें इस इंटरनेट के जमाने में घर के कोने में उदास रहती हैं । हालांकि पुस्तकें आज भी छप रही हैं और पुस्तक मेले भी लगते हैं लेकिन वो पहले वाली बात कहां ? न रौनक और न बिक्री । यहां तक चर्चा है कि देश के अच्छे अच्छे प्रकाशक भी मात्र तीन सौ प्रतियों के संस्करण निकालने लगे हैं ।
एक समय भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी मित्र मंडली से व्यंग्य को पहचान दी और हिंदी साहित्य को प्रचारित किया । जनता जनार्दन तक पहुंचाया । फिर ऐसा समय आया जब प्रसिद्ध लेखक अज्ञेय ने वत्सल निधि के शिविर दूरदराज , दुर्गम क्षेत्रों में आयोजित किए । हिंदी साहित्य को चिंतन की दिशा में मोड़ कर नयी दिशा दी ।
फिर प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर ने समांतर साहित्य आंदोलन चलाया और इसी तरह मित्र मंडली को लेकर चिंतन शिविर आयोजित किए । बेशक उनमें सारिका पत्रिका के संपादक के रूप में कमलेश्वर का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता था ।
इस बीच हरियाणा में सुभाष चन्द्र ने देस हरियाणा सृजन उत्सव शुरू कर राज्य में नयी जागृति पैदा की और इस बार तो हरियाण के लेखकों को एक बस में बिठा कर बाकायदा यात्रा आयोजित की , जिसके माध्यम से रेवाड़ी में बाबू बालमुकुंद की जर्जर व उपेक्षित कोठी भी चर्चा में आई । कभी जान चंद्र त्रिखा ने भी हरियाणा में साहित्यिक यात्रा निकाली । हिमाचल में नवल प्रयास के विनोद प्रकाश गुप्ता व कथाकार एस आर हरनोट ने रेल यात्रा से काव्य गोष्ठी कर और शिमला में अनेक आयोजन कर इस पहाड़ी राज्य में साहित्य की अलख जगाने का प्रयास जारी रखा है तो जयपुर में भी इस वर्ष जनवादी साहित्य उत्सव ने नवीन प्रयोग कर दिखाया । इसी प्रकार हरियाणा के आई ए एस विवेक आत्रेय ने चंडीगढ़ में लिटरेचर फेस्ट लगाकर हलचल पैदा की । इन आयोजनो के साथ पुस्तकों की चर्चा भी होती । इन सबसे अलग हटकर इन दिनों डाॅ प्रेम जनमेजय जुटे हैं और निकले रहते हैं : व्यंग्य यात्रा की निरंतर यात्रा को लेकर । संभवतः इतने बड़े स्तर पर आजकल हमारे प्रेम जनमेजय ही अलख जगाने में जुटे हैं । बेशक वे व्यंग्य को ही केंद्र में रख कर ये उत्सव जगह जगह आयोजित कर रहे हैं लेकिन इससे हिंदी साहित्य इसी माध्यम से पाठक तक पहुंच रहा है । नये नये पाठक और नये नये लेखक बन रहे हैं । हम जैसे अन्य विधाओं के लोग भी इनकी यात्रा और प्रेरणा से व्यंग्य लेखन की कोशिश करने लगे हैं ।
मैं इन्हें और ऊर्जावान होने और व्यंग्य यात्रा के निरंतर प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं । यह यात्रा और सभी मित्रों के प्रयास इसी तरह साहित्य की ज्योति जलाए रखें । नववर्ष पर यही कामना ।