साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि गंभीर कर्म है: पद्मश्री डा. संत राम देसवाल 

साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि गंभीर कर्म है: पद्मश्री डा. संत राम देसवाल 

रोहतक, गिरीश सैनी। साहित्य के जीवन में महत्व तथा साहित्यिक रचनाओं से समाज-राष्ट्र में सकारात्मकता का माहौल सृजित करने के प्रभावी संदेश के साथ एमडीयू में रंग कलम साहित्यिक इवेंट आयोजित किया गया। 

रंग महोत्सव के साहित्यिक रंग का कार्यक्रम रंग कलम में कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि साहित्य मानवीय संवेदनाएं जागृत करता है। साहित्य जीवन कौशल देता है तथा खुद को भी समझने में मददगार होता है। साहित्य जीने की कला, भाषायी कौशल सिखाते हुए व्यक्तित्व को संवारता है।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अक्टूबर माह में एमडीयू लिटरेचर फेस्टिवल आयोजित करने की घोषणा की। साथ ही, ग्रीष्मकालीन अवकाश में कहानी लेखन, कविता लेखन, साहित्य समीक्षा आदि पर कार्यशाला आयोजन की घोषणा की। कुलपति ने विवि पत्रिका निकालने की घोषणा भी इस मौके पर की। 

प्रतिष्ठित लेखिका एवं कवयित्री डा. रश्मि बजाज ने रंग कलम के उद्घाटन सत्र में कहा कि साहित्य में जीवन को बदलने की क्षमता है। मानवता-इंसानियत को बचाए रखने में साहित्य की प्रभावी भूमिका है। उन्होंने सकारात्मक, जीवनदायिनी साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए- बहुत गा चुके हैं मृत्यु को, आओ जीवन के गीत गाएं हम का सस्वर पाठ कर विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमडीयू एलुमनस, पद्मश्री डा. संत राम देसवाल ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि गंभीर कर्म है। साहित्य को सामाजिक उत्थान में, बेहतर समाज बनाने में योगदान देना चाहिए। अपने जीवन की संघर्ष गाथा का उल्लेख करते हुए डा. संत राम देसवाल ने अपनी साहित्यिक यात्रा को साझा किया। 

उद्घाटन सत्र में विशिष्ट वक्ता गुरु जंभेश्वर विवि, हिसार के जनसंचार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं कवि डा. मिहिर रंजन पात्रा ने- माई इंडिया, मैगीनफिसियंट इंडिया, मैं ही देवता, मैं ही दैत्य, औरत का अहसास आदि कविताओं की भाव प्रवण प्रस्तुति दी। लैंगिक समता का संदेश देते हुए उनकी कविताओं ने मानवीय भावनाओं को उकेरा। नामी उर्दू शायर कवि सुहैब अहमद फारूकी ने खूबसूरत नज्मों, गजल तथा दिलकश शेरों-शायरी से उपस्थित जन को लुभाया। 

स्वागत भाषण रंग कलम संयोजिका संस्कृत विभाग की प्रोफेसर डा. सुनीता सैनी ने दिया। आभार प्रदर्शन रंग महोत्सव संयोजक एवं डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा ने किया। मंच संचालन सहायक प्रोफेसर डा. रवि प्रभात ने किया। संस्कृत विभाग के आचार्य बलबीर, सहायक प्रोफेसर डा. सुषमा नारा ने आयोजन सहयोग दिया। 

दोपहर कालीन सत्र में आयोजित साहित्यकार सम्मेलन की मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित लेखिका राजकला देसवाल रही। अध्यक्षता प्रतिष्ठित लेखक मधुकांत ने की। विशिष्ट प्रस्तुति आशनारा खानम कशफ की रही। निदेशक युवा कल्याण डा. प्रताप राठी ने व्यवस्थागत सहयोग दिया। 
लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक, विभागाध्यक्ष पत्रकारिता प्रो. हरीश कुमार, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी प्रो. रश्मि, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी, प्रो. गुलाब सिंह, प्रो. सुधीर, डा. कविता सिंह, पीआरओ पंकज नैन सहित रोहतक के प्रतिष्ठित कलमजीवी लेखक-लेखिकाएं, रोहतक के साहित्य प्रेमी जन, शोधार्थी-विद्यार्थी मौजूद रहे।